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रतौंधी रोग को कैसे रखें बच्चों से दूर

Ratondhi rog ko kaise rakhe bachon se door ?

आँखों की ज्योति क्षीण होने का एक मुख्य कारण बचपन में बच्चों को पौष्टिक आहार न मिलना है. इससे बच्चों में शारीरिक निर्बलता भी आ जाती है. भोजन में विटामिन की कमी के कारण अक्सर लोगों को रतौंधी की समस्या से गुजरना पड़ता है.

रतौंधी के लक्षण :

रतौंधी से पीड़ित बच्चों को शाम होते ही धुंधला दिखाई देने लगता है. ब्लैकबोर्ड पर लिखी चीजें भी स्पष्ट नहीं दिखती.

सूर्य के ढलने पर दिखना कम हो जाता है. बल्ब की रौशनी में किताबें पढ़ पाना मुश्किल हो जाता है.

रतौंधी रोग के कारण

बच्चों को नियमित और जरूरी स्तनपान न कराना. इसके कारण बच्चे पौष्टिक तत्वों से वंचित रह जाते हैं. भोजन में विटामिन की कमी भी रतौंधी की समस्या का एक कारण है. इसके अलावा कारखानों के आस-पास रहने, देर तक टेलीविजन देखते रहने से भी रतौंधी होने की सम्भावना होती है.

रतौंधी रोग के उपचार

आँखों को साफ करते रहें ताकि धूल-मिट्टी के लिये उसमें कोई जगह न हो. रतौंधी की समस्या से दो-चार कर रहे व्यक्तियों को प्रतिदिन सुबह-शाम गाजर का रसे पीने दें. गाजर में विटामिन ए होता है जो रतौंधी प्रतिरोधी होता है. हरी सब्जियों और धनिया का खाने में भरपूर इस्तेमाल करें. इन उपायों को जीवनशैली का हिस्सा बनाकर रतौंधी से आसानी से दूरी बनायी जा सकती है.

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