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बुखार के लिए 3 योग

Yoga tips for fever in hindi.

बुखार के लिए योग जाने और जानने बुखार में क्या करें और क्या ना करें, yoga tips for fever in hindi and know what to do and what not to do in fever.

बुखार में ज्यादातर लोग दवाई या फिर बुखार की गोली खाने में विश्वास रखते हैं, लेकिन एंटीबायोटिक दवाई के अलावा यदि आप बुखार में योग करते हैं तो जल्दी ठीक हो जाएंगे।

बार-बार बुखार आना एक आम बीमारी है, जो ज्यादातर लोगों को किसी भी समय और किसी भी मौसम में हो जाती है। बदलते मौसम के साथ हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी सिस्टम में भी उतार–चढ़ाव होता रहता है, जिसके कारण बुखार, हमारे शरीर को जकड़ने लगता है। इस बीमारी से ज्यादातर बच्चे परेशान रहते हैं। उन्हें वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम होना या उनका शरीर गर्म रहना उनके चाहने वालों को परेशान करता है।

बुखार के लिए योग
यदि आप बुखार में दवाई को खुद से दूर रखना चाहते हैं, तो आपको नियमित रूप से कुछ योग करना होगा जिससे आपकी तपती शरीर को आराम मिलेगा। आइए जानते हैं बुखार के लिए कौन से योगासन है।

अनुलोम विलोम
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ बहुत हैं तथा इसे हर उम्र के लोग कर सकते हैं। जिन्हे गुस्सा और तनाव रहता है उन्हें यह आसन करना चाहिए। इसके अलावा बुखार में भी यह बहुत कारगर योग माना जाता है। अनुलोम विलोम के इतने बेनिफिट्स हैं कि आप हमेशा रोग मुक्त रहेंगे।

अनुलोम विलोम करने की विधि

1. सबसे पहले चटाई बिछाकर सुखासन, सिद्धासन या फिर वज्रासन में बैठें जाएं।
2. हाथो की उंगलियों की सहायता से नाक का दाया छिद्र बंद करें व बाये छिद्र से लंबी सांस लें। इसके पश्चात बाये छिद्र को बंद करके, दाये वाले छिद्र से लम्बी सांस को छोड़े।
3. इसे आप कम से कम 10-15 मिनट तक दोहराएं।
4. सांस लेते समय आपको अपना ध्यान दोनो आँखों के बीच मे स्थित आज्ञा चक्र पर एकत्रित करना होता है।

सीत्कारी प्राणायाम
मन की शांति और शारीरिक शीतलता का काम करने वाला सीत्कारी प्राणायाम सर्दी में गर्मी और गर्मी में ठंडक पहुंचाने का काम करता है। योग की दुनिया में माना जाता है कि सीत्कारी प्रणायाम एक छायादार वृक्ष की तरह है जो भरपूर ऑक्सिजन का निर्माण करते हैं। यह बुखार में बहुत ही उपयोगी आसन है।

सीत्कारी प्राणायाम करने की विधि
1. सीत्कारी प्राणायाम करने के लिए चटाई बिछाकर सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
2. अपनी कमर, सिर और गले को सीधी रखिए। इसके बाद नीचे के दांतों को ऊपर के जबड़े के दांतों पर रख दें।
3. जीभ को मुंह के भीतर पीछे की ओर इस विधि से मोड़िए कि उसके अग्र भाग का स्पर्श ऊपरी तालु से हो।
4. दांतों की पंक्तियों को एक-दूसरे पर रखिए और होंठों को अधिक से अधिक फैलाइए।
5. इस क्रिया को अपनी क्षमता के अनुसार 10 से 15 बार तक करने का प्रयास करें।

कपालभाती प्राणायाम
पेट के सभी रोगों को दूर करने और आपकी त्वचा को चमकदार और खूबसूरत बनाने में सक्षम कपालभाती प्राणायाम सबसे सरल और उपयोगी आसन है। बुखार होने के दौरान इस प्राणायम को करने से बहुत ही आराम मिलता है।

कपालभाती प्राणायाम करने की विधि
1. सबसे पहले ध्यान के किसी आसन में बैठिये और अपनी आंखें बंद कर लीजिए।
2. इसके बार अपने पूरे शरीर खासकर अपने पेट को शिथिल या ढीला छोड़ दीजिए।
3. अब नाक से तेजी से श्वास को बाहर निकालने की क्रिया करें। श्वास को बाहर निकालते वक्त पेट को भीतर की ओर खींचे। यह ध्यान दें कि सांस को छोड़ने के बाद, सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किए सामान्य रूप से सांस को अन्दर आने दें। इससे एक सकेंड में एक बार सांस फेंकने की क्रिया कह सकते हैं।
4. इसके बाद श्वास को अंदर लीजिए। ऐसा करते वक्त संतुलन बनाये रखें।
5. इस आसन को आप शुरुआत में 5 मिनट के लिए कर सकते हैं।

इन तीनों आसनों के अलावा आप मत्स्येंद्रासन, मत्स्यसन और अधो मुखा स्वानासन जैसे आसन कर सकते हैं।

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