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गुब्बारे के नुकसान

Ill effects of ballons in health in hindi.

जाने विस्तार में गुब्बारे के नुकसान के बारे में क्योंकि यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, ill effects of ballons in health in hindi.

गुब्बारे हमारे जीवन की खुशियों का एक अभिन्न अंग हैं, जिसके बिना हमारी खुशियाँ अधूरी सी लगती है। अब बात चाहे होली की हो, जन्मदिन की हो या फिर अपने प्यार का इज़हार करने की गुब्बारे अपनी अलग अलग भूमिका निभाते हैं। हमनें अक्सर कुछ विशेष मौकों पर गुब्बारे फोड़ें होंगे,केक काटते ही गुब्बारों का फोड़ा जाना एक प्रचलन बन गया है. गुब्बारे के धमाके के बिना जन्मदिन,जन्मदिन नहीं लगता…ऐसा लगता है गुब्बारे के ज़ोरदार धमाके के साथ हम जन्मदिन की घोषणा कर रहे हों।..वहीँ होली के दिन गुब्बारे अलग महत्वपूर्ण किरदार में उतर आते हैं,जहाँ इनमें रंगीन पानी भरकर विरोधियों पर जोरदार हमला किया जाता है…खुशियों का रूप बदल जाता है,अवसर बदल जाता है,पर इन सब में गुब्बारा महत्वपूर्ण रहता है..लेकिन अगर आप मानते हैं कि गुब्बारे फोड़ना एक मजेदार चीज़ है तो फिर से सोचिए क्या वाकई ऐसा है ? आज हम आपको बताते है कि तरह गुब्बारे फोड़ना आपके कानो की शक्ति को बर्बाद कर सकता है, इसलिए आज हम जानेंगे गुब्बारे के नुकसान.

गुब्बारे के नुकसान

कई शोधों में सामने आया है कि गुब्बारे का धमाका बन्दुक के धमाके से भी तेज़ हो सकता है जिससे आपके सुनने की शक्ति पूरी तरह समाप्त हो सकती है। ..हम यह नहीं कहते की आप गुब्बारों के साथ ना खेलें,या उनके साथ मज़ा ना करें,पर इनको फोड़ने से अवश्य बचें। क्यूंकि पूरी तरह बहरा होना घातक हो सकता है। हर एक तेज़ आवज़ में आजीवन प्रभाव डालने की क्षमता होती है।

शोधकर्ताओं ने गुब्बारे के फटने से उत्पन्न आवाज़ का आकलन किया और यह जानकार भौंचक्के रह गए कि अपने उच्त्तम स्तर पर उत्पन्न गुब्बारे की आवाज़ मनुष्य के कान के पास से जाती शक्तिशाली शोर्टगन जितनी हो सकती है। शोधकर्ताओं ने गुब्बारे के आवाज़ की तीव्रता का मापन तीन प्रकार किया

  • गुब्बारे में पिन चुभाकर,
  • उसे लगातार तब तक फुलाकर जब तक वह फट ना जाए,
  • उसे तब तक तोड़ मरोड़कर जब तक वह फूट ना जाए।

इस प्रयोग में शोधकर्ताओं ने पाया कि गुब्बारे को लगतार फुलाने के बाद हुए धमाके से निकलने वाली आवाज़ सबसे तेज़ थी, जो लगभग 168 डेसिबल्स(DECIBELS) के बराबर थी। यह आवाज़ 12 गेज(GAUGE) की बन्दूक से होने वाली आवाज़ से 4 डेसिबल्स ज्यादा थी। शोधों में ऐसा माना गया है कि 140 डेसिबल्स से थोड़ी सी भी ज्यादा आवाज़ बच्चों और बड़ों दोनों के लिए बेहद घातक और असुरक्षित हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वास्तव में यह आश्चर्यजनक है कि गुब्बारों की आवाज़ भी इतनी तेज़ हो सकती है। यह सब जानने के बाद कोई भी अभिभावक यह नहीं चाहेगा की उनके बच्चे बिना किसी सुरक्षा इतनी तेज़ आवाज़ का सामना करें पर गुब्बारा लोगों के दिमाग से निकलता नहीं है।

अतः गुब्बारों से नहीं उन्हें फोड़ने और उनकी आवाज़ से बचना चाहिए।

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