आंत

आंत क्या है, आंत के कार्य और इसके रोग

Bowel, Its works and diseases of bowel in hindi.

जाने विस्तार में आंत क्या है, आंत के कार्य, इसके रोग और इसकी सरंचना, know all about bowel works, its diseases and its size and location in body in hindi.

मानव शरीर की आहार नली आंत एक अहम हिस्सा होती है, जो हमारे पेट से गुर्दे तक फैली हुई होती है और इसके दो भागों में बांटा गया है छोटी आंत और बड़ी आंत। मानव शरीर में छोटी आंत को पाचननांत्र, मध्यांत्र और क्षुद्रंत्र में विभाजित किया जाता है और बड़ी आंत को अंधात्र और बृहदान्त्र में बांटा गया है।

आंत की संरचना

हमारे शरीर में दो आंत होते हैं। ऐसा भी बोल सकते हैं कि आंत को दो भागों में विभाजित किया जाता है। जो छोटी आंत होती है वह भूरे – बैंगनी रंग की होती है और इस आंत का व्यास लगभग 35 मिलीमीटर तक का होता है और इसकी औसत लंबाई 6 से 7 मीटर तक की होती है। बड़ी आंत का रंग लाल होता है और यह छोटी आंत की अपेक्षा मोटी होती है, जिसकी लंबाई लगभग 1.5 मीटर तक होता है। आकार और उम्र के अनुसार मानव में अलग-अलग आकार की आंतें होती है।

आंत का कार्य

ल्यूमेन वह है जहां से हमारा पचा हुआ भोजन होकर गुजरता है और जहां से पोषक तत्व अवशोषित होते हैं। हमारी दोनों आंतें संपूर्ण आहार नली के साथ समान्य सरंचना का एक हिस्सा होती हैं और यह कई परतों से बनी हुई होती है। जब ल्यूमेन अंदर से बाहर की ओर आती है तो यह सद्दश प्रतीत होती है। ग्रथिल एपिथिलियम में आहार नली के साथ कोशिकाएं भी होती है। ये भोजन के मार्ग को चिकना करती है साथ में पाचन एंजाइम से सुरक्षा प्रदान करती है। विली मुकोसा के आच्छादन होते हैं और यह दुग्ध वाहिनी निहित होने के साथ आंत इस सतही क्षेत्र को बढ़ाने में सहायक होते हैं जो लसीका प्रणाली से साथ जुड़े हुए होते हैं। इसकी अगली परत पेशीय मुकोसा की होती है, जो एक कोमल मांसपेशी की परत होती है। यह हमारी आहार नली के साथ सतत क्रमाकुंचन और कार्यप्रणाली के चर्म बिंदु पर मदद करती है।

उपमुकोसा में तंत्रिकाएँ जैसे मेसनर का प्लेक्सस रक्त नलिका और श्लेषजन के साथ लोचदार फाइबर होता है, जो हमारी बढ़ी हुई क्षमता के साथ बढ़ती है। लेकिन साथ में हमारी आंत के आकर को बनाएं रखती है। इसके आसपास पेशीय एक्सटर्न होती है जो हमारी पची हुई सामग्री को आहार नली से बाहर निकालने में मदद करती है।अंत में सेरोसा होता है जो संयोजक टिश्यू से बना हुआ होता है तथा श्लेष्मा में आवृत होता है। इससे अन्य टिश्यू से आंत पर होने वाले घर्षण को रोका जा सकता है। बड़ी आंत में कई जीवाणु होते हैं जो मानव द्वारा विखंडित न कर पाने वाले अणुओं के साथ कार्य करते हैं। ये जीवाणु हमारी आंत के अंदर गैस को पैदा करने का काम करते हैं, जो विलोपन होने पर उदर वायु के रूप में गुदा के माध्यम से हमारे शरीर से बाहर निकल जाती है।

आंत में होने वाले रोग

हमारी आंत में होने वाले रोग इस प्रकार से है

  1. आंतो में सूजन
  2. आन्त्रावरोध
  3. इलिटिस क्षुद्रांत्र का सूजन
  4. बह्दान्त्र थोथ
  5. कोहन का रोग
  6. उदर गह्वर (पेट की गुहा)।

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