योग मुद्रा

वीरभद्र आसन करने की विधि और लाभ

Virabhadrasana health benefits in hindi.

वीर भद्र आसन हम दो मुद्रा में कर सकते हैं। यह हमारे शरीर को शक्ति और दृढ़ता प्रदान करने वाला व्यायाम होता है। यह एक ऐसा आसन होता है जिससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है इससे हमारे शरीर में शक्ति का संचार होता है। यह एक ऐसा योग है जिसमें पैर, बाँहे ओर कंधे मूल रूप से हिस्सा लेते हैं। इस योग को करने में छाती भी हिस्सा लेती है। इस योग से हमें कई तरह के लाभ मिलते हैं। लेकिन जब भी हमें किसी तरह की परेशानी हो तो हमें यह आसन नहीं करना चाहिए।

वीरभद्र आसन के लाभ
जैसे कि हम जानते हैं की वीरभद्र आसन की दो मुद्रा होती है। इसकी पहली मुद्रा करने से पैरों में दृढ़ता आती है, जिसके कारण पैरों में होने वाला कम्पन दूर हो जाता है। वीरभद्र आसन की दूसरी मुद्रा भी पहली वाली के सामान होती है। इस आसन को हम खड़े होकर करते हैं। इस आसन को करने से हमारी बांहों और कंधों में खिचाव होता है, इसके साथ ही हमारी छाती भी फैलने लगती है, जो हमारे फेफड़ों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। इस आसन से हमें बीमारियों का कम सामना करना पड़ता है। इससे हमारा शरीर चुस्त और फुर्तीला होता है। इस आसन को करने के लिए हमें कुछ विशेष बातोँ का ध्यान रखना चाहिए। अगर इसे हम सही तरिके से करें तो हमें जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।

आसन की अवस्था
वैसे तो हम जब भी कोई आसन करते हैं तो हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम वो आसन सही से कर रहे हैं या नहीं। जब हम सही तरीके से आसन को करते हैं तभी हमें उस का लाभ होता है। लेकिन वीरभद्र आसन को करते हुए कुछ विशेष बातोँ पर ध्यान देते हैं जैसे कि सिर, घुटने और हिप्स एक ही स्तिथि में है। जब आप योग कर रहे हो तब अपना शरीर हल्का और सहज रखना चाहिए। उस समय अपने पैरों को अच्छे से जमीन पर लगा कर रखें ताकि आप के शरीर का संतुलन आप के पैरों पर बना रहे। अगर आप को संतुलन बनाये रखने में किसी तरह की परेशानी होती है, तो आप अपने पिछले पैर को थोड़ा आगे की और घुमा सकते हैं। अगर आप की कमर में दर्द होने लगे तो आप शरीर को अपने मुड़े हुए पैरों की तरफ कर सकते हो।

सावधानी
वीरभद्र आसन को सही तरीके से करना चाहिए। इसको करते हुए अगर आप के घुटनों में दर्द, कमर में दर्द हो रही हो तो इसे नहीं करना चाहिए। इस आसन को कैसे करे हम आपको बताते हैं।

1. इसको करने के लिए सबसे पहले तन कर खड़े होना चाहिए।
2. फिर अपने दाएं पैर को 2 से 4 फिट तक आगे ले जाए।
3. दाएं घुटने को हल्का सा मोड़ दें, ओर इस बात का ध्यान रखें कि बायां पैर सीधा हो, उसका तलवा जमीन के साथ लगा हुआ हो।
4. गहरी सांस को लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें इस बात का ध्यान रखें कि आप के दोनों हाथ एक-दूसरे के आमने-सामने हो।
5. अपने कंधों को आरामदायक स्थिति में रहने दें। दोनों कानों को अपने कंधे के पास न आने दें।
6. इस मुद्रा में आप 15 सेंकड से लेकर 1 मिनट तक रह सकते हैं।
7. अपनी सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए वापिस आप अपनी पुरानी स्थिति में आ जाओ।

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