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खून की कमी के लक्षण और खून बढाने के तरीके

Symptoms of blood deficiency and ways to improve it

खून कमी के कारण और आयुर्वेदिक घरेलू उपाय. khoon ki kami ke ayurvedic home remedies in hindi.

रक्त के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। सेहतमंद रहने के लिये रक्त का सुचारू प्रवाह बहुत जरूरी है। शरीर के सूक्ष्म तन्तु-कोषों को विवध प्रकार के लवणों और ऑक्सीजन की जरूरत होती है। लोग जो भी खाते-पीते हैं उसमें से पौष्टिक तत्व शरीर के उपयोग में लग जाते हैं जबकि व्यर्थ पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने में रक्त की भूमिका महत्तवूर्ण होती है।

रक्ताल्पता यानी शरीर में रक्त की कमी सेहत की दृष्टि से अच्छी नहीं कही जा सकती। रक्त की कमी से व्यर्थ पदार्थों की शरीर से निकासी में व्यवधान पैदा होती है। अगर रक्त की कमी से पौष्टिक तत्व शरीर के इस्तेमाल में न लग पायें तो सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है। यह असर इतना नकारात्मक भी हो सकता है कि व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

रक्त अल्पता के कारण

रक्त अल्पता के कुछ मुख्य कारण हैं विटामिन की कमी, हॉरमोन्स में असंतुलन और शरीर में खनिज-लवणों की कमी।

खून कमी के अन्य कारण

1. बच्चे के जन्म के दौरान खून की कमी होना – यह देखा गया है कि गर्भावस्था के दौरान बॉडी में खून की कमी या एनिमिया होने पर आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी की मात्रा में कमी आने लगती है। आपको बता दें गर्भावस्था के दौरान एक महिला को सामान्य से दोगुने यानी अतिरिक्त आयरन की आवश्यकता होती है ताकि आप तथा आपका शिशु सेहतमंद रह सके।
2. पौष्टिक भोजन का अभाव – यदि शरीर में खून की कमी है तो इसकी एक वजह आपकी डाइट में पौष्टिक भोजन का न होना भी है। इसलिए अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें।
3. इसके अलावा जो लोग नियमित रूप से रक्त दान करते हैं उन्हें एनीमिया रोग हो सकता है।

खून की कमी के लक्षण और खून बढाने के तरीके, khoon ki kami ke lakhsan aur upay in hindi.

रक्त अल्पता के नकारात्मक प्रभाव

शरीर में सुस्ती आने लगती है। पेट में गड़बड़ी रहती है और कुपच होता है। स्मरण शक्ति घटने लगती है और पीड़ित अवसाद ग्रस्त हो जाता है। पलकों के अंदर का हिस्सा पीला होने लगता है। कान पीले दिखने लगते हैं।

केले के फूल भी दूर करते हैं खून की कमी को 

क्या करें इस स्थिति से उबरने के लिये

रक्त की कमी का एहसास होते ही योग्य चिकित्सक से मिलकर सलाह लें। उनके परामर्श के अनुसार सभी जरूरी जाँच करायें। याद रखें, स्वयं डॉक्टर बन इसके लक्षणों का ईलाज करने की कोशिश से अच्छा है इसके जड़ को समूल नष्ट करना।

इसके घरेलू उपचार के लिये विशेषज्ञ के परामर्शानुसार कसरत, खेल-कूद और तैराकी करें। शारीरिक कसरतों के जरिये सेहत बनाने के साथ ही मानसिक रूप से मजबूत बनें। स्वाभाविक और संतुलित जीवन इस बीमारी से उबरने में मददगार साबित हो सकता है। खाने में मिर्च-मसालों का इस्तेमाल कम करें। सुपाच्य और पौष्टिक पदार्थ खाने की हर सम्भव कोशिश करें।

 

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