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छोटे बच्चे की देखभाल

Children or baby health care tips in hindi

किसी प्रसिद्ध व्यक्ति ने कहा है कि माँ के गर्भ से बच्चे का जन्म संसार का सबसे खूबसूरत सृजन है क्योंकि इससे जीवन के प्रति सकारात्मक सम्भावना बनी रहती है। किंतु, बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल भी अत्यंत जरूरी होती है। इसलिये बच्चे के जन्म के बाद उस सेहतमंद बनाने के लिये तरह-तरह की युक्तियाँ अपनायी जाती है। 

नियमित रूप से तिल, सरसों या जैतून के तेल से बच्चे की मालिश की जाती है जिससे उसकी माँस-पेशियों में किसी भी प्रकार का तनाव न आने पाये। कुछ घरों में बच्चे को दूध अथवा उबटन भी लगाया जाता है। यह एक प्रचलित किंतु सामान्य मान्यता है कि नियमित रूप से उबटन लगाने से शरीर के अनावश्यक बाल गिर जाते हैं। 

बच्चे की देखभाल की कुछ और प्रचलित युक्तियाँ

नाभि की देखभाल

सामान्य तौर पर नाभि से जुड़ी नाल 7-10 दिनों में सूखकर गिर जाता है जिसके बाद उस स्थान पर लाल रंग का चिन्ह रह जाता है। यह चिन्ह दो से तीन सप्ताह की अवधि के दौरान पूरी तरह सूख जाता है। अगरकिसी प्रतिकूल परिस्थिति में उससे पानी, बदबू अथवा मवाद निकले तो फौरन अपने चिकित्सा विशेषज्ञ से सम्पर्क साधें। 

यह हमेशा ध्यान रखें कि नाभि साफ और सूखी रहे। इसका कारण यह है कि नाभि के गीले और गंदे रहने पर कीटाणुओं के हमले हो सकते हैं जिससे बीमारियों का खतरा बना रहता है। नाभि को साफ रखने के लिये स्वच्छ जल में रूई डुबो कर आहिस्ता-आहिस्ता इसे साफ कर दें। इसके सूखने पर पाउडर भी लगाया जा सकता है। 

बच्चों के कपड़े

ठंड के दौरान अभिभावक अपने बच्चे को जरूरत से अधिक कपड़े पहना देते हैं ताकि उसे ठंड से बचाया जा सके। उद्देश्य अच्छा होने के बावजूद यह क्रिया समुचित नहीं है। यह बात गाँठ बाँध लें कि हमेशा शरीर का तापमान अधिक होने से बच्चे का शरीर तापमान पर नियंत्रण की अपनी शक्ति खो देता है। बच्चे के जन्म के बाद यदि उसका वज़न 2.5 किलोग्राम अथवा उससे अधिक होता है तो वह अपने शारीरिक तापमान पर खुद ही नियंत्रण कर लेता है।

क्या करें

पहले बच्चे को हल्के कपड़े पहनाएँ। अगर इसके बाद बच्चा रोता है अथवा उसके हाथ-पैर ठंडे होने की स्थिति में उसे जरूरतके हिसाब से कपड़े पहनाएँ। जरूरत से अधिक कपड़े पहनने की दिशा में बच्चे के सिर और गले पर पसीने की बूँदें उभरने लगती है। 

कैसे उतारें कपड़े

बच्चे को ज्यादा चुस्त कपड़े न पहनाये ताकि उसे उतारते वक्त कोई परेशानी हो। कपड़े उतारते वक्त आस्तीन में से उसके हाथों को पहले निकाल लें। इससे कपड़े उतारने में अभिभावकों को तो सहूलियत होती ही है उस बच्चे को भी कोई भी परेशानी नहीं होती। 

जूते

कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि दो-तीन वर्ष की आयु तक बच्चों को नंगे पैर ही चलने दें। इससे उनके पैर के आकार सही होते हैं। कई बार यह देखा गया है कि अधिकांश समय तक जूते पहनने वाले बच्चों के पैरों का तलवा चपटा रह जाता है। 

साफ हवा

तापमान में परिवर्तन जैसे व्यस्कों के लिये अच्छा है उसी तरह यह बच्चों के लिये भी महत्तवपूर्ण है। इसका कारण यह है कि विभिन्न तापमान के हिसाब से बच्चे अपने शरीर को उसके अनुकूल बनाते हैं। जाड़े के दिनों में बच्चों में ताज़गी आती है। तापमान कम रहने के दौरान उन्हें ज्यादा भूख भी लगती है। बच्चों द्वारा की जाने वाली यह एक स्वाभाविक क्रिया है। 

अलग-अलग ऋतुओं में बच्चे को कम से कम दो-तीन घंटे घर से बाहर घुमाना चाहिये। अत्यधिक ठंड के मौसम में ऐसा करने से जरूरी परहेज करें। करीब एक साल के बाद बच्चों को बाहर जाने दें क्योंकि उन्हें हमउम्र बच्चों के साथ बैठना-खेलना अच्छा लगता है। इन सब युक्तियों को ध्यान में रखकर आप अपने बच्चे के बेहतरीन सेहत की नींव रख सकते हैं। 

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