बीमारी और उपचार

रिकेट्स क्या है, जाने इसके उपचार

रिकेट्स सॉफ्ट और कमजोर हड्डियों से संबंधित रोग है। रिकेट्स के लक्षणों में हड्डियों में दर्द शामिल है। विशेषकर रीढ़, हाथ और पैरों में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन आदि। रिकेट्स कम से कम तीन आवश्यक पोषक तत्वों विटामिन डी, कैल्शियम या फास्फोरस में से एक में कमी के कारण होता है। इसलिए, रिकेट्स के उपचार के लिए आहार में इन पोषक तत्वों का होना बहुत ही जरूरी है।

रिकेट्स क्या है

रिकेट्स क्या है

रिकेट्स एक हड्डी संबंधी विकार है, जो विटामिन डी, कैल्शियम या फास्फोरस की कमी के कारण होता है। मजबूत और स्वस्थ हड्डियों के विकास के लिए ये पोषक तत्व महत्वपूर्ण हैं। रिकेट्स के शिकार लोगों की हड्डियां कमजोर और नरम हो सकती है। और गंभीर मामलों में, हड्डी संबंधी विकृति भी हो सकती है।

विटामिन डी आपकी आंतों से आपके शरीर को कैल्शियम और फास्फोरस को अवशोषित करने में मदद करता है। आप दूध, अंडे और मछली सहित विभिन्न खाद्य उत्पादों से विटामिन डी प्राप्त कर सकते हैं। इसका जब आपका शरीर सूरज की रोशनी के सामने आता है तब आपका शरीर विटामिन का उत्पादन करता है।

विटामिन डी की कमी आपके शरीर को कैल्शियम और फास्फोरस के पर्याप्त स्तर बनाए रखने के लिए मुश्किल बनाता है। जब ऐसा होता है, तो आपका शरीर हार्मोन पैदा करता है जिसके कारण कैल्शियम और फास्फोरस को आपकी हड्डियों से रिलीज होती है। जब आपकी हड्डियों में इन खनिजों की कमी होती है, तो ये कमजोर और सोफ्ट होने लगती हैं।

किन बच्चों में होता रिकेट्स

बच्चों को रिकेट्स का सबसे ज्यादा खतरा होता है, क्योंकि उस दौरान उनकी हड्डियां ग्रो करती हैं। 6 से 36 महीने की आयु के बच्चों के बीच रिकेट्स सबसे आम है। यदि बच्चे कम सूरज की रोशनी वाले क्षेत्र में रहते हैं या फिर दूध का सेवन नहीं करते तो बच्चों को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल सकता है। वैसे कुछ मामलों में, हालत वंशानुगत भी होता है।

रिकेट्स के उपचार

रिकेट्स के उपचार

रिकेट्स के उपचार के लिए सबसे जरूरी चीज यह है कि शरीर में विटामिन या खनिज के स्तर को बनाए रखना बहुत ही जरूरी है। ऐसा करके रिकेट्स से जुड़े अधिकांश लक्षणों को खत्म किया जा सकता है।

  • यदि आपके बच्चे में विटामिन डी की कमी है, तो संभवतः उन्हें सूर्य की रोशनी देना बहुत ही जरूरी है ताकि उनकी हड्डियां आगे जाकर कमजोर न हो।
  • इसके अलावा उन्हें विटामिन डी जैसे खाद्य पदार्थों, जैसे मछली, दूध और अंडे का उपभोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • रिकेट्स का इलाज करने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी का सप्लीमेंट भी इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इसे लेने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें। क्योंकि बहुत ज्यादा विटामिन डी या कैल्शियम आपके या आपके बच्चे के लिए असुरक्षित हो सकता है।
  • यदि हड्डी संबंधी विकृति मौजूद है, तो आपके बच्चे को उनकी हड्डियों को सही ढंग से स्थानांतरित करने के लिए ब्रेसिज़ की आवश्यकता हो सकती है। गंभीर मामलों में, आपके बच्चे को सुधारात्मक सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
  • रिकेट्स ठीक होने वाला रोग है। विटामिन डी, कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर में वृद्धि से इस विकार को सही करने में मदद मिलेगी। छोटे बच्चे जब दूध के अलावा आहार लेने लगे तो उसे कैल्शियम युक्त पदार्थ खाने को दें। यदि विटामिन डी भरपूर मात्रा में मिलने के बावजूद किसी बच्चे को ऐसी समस्या है तो उसे रिकेट्स नहीं, बल्कि हड्डी से संबंधित कोई अन्य रोग हो सकता है।

डिसक्लेमर : Sehatgyan.com में जानकारी देने का हर तरह से वास्तविकता का संभावित प्रयास किया गया है। इसकी नैतिक जिम्मेदारी sehatgyan.com की नहीं है। sehatgyan.com में दी गई जानकारी पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। अतः हम आप से निवेदन करते हैं की किसी भी उपाय का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलह लें। हमारा उद्देश्य आपको जागरूक करना है। आपका डाॅक्टर ही आपकी सेहत बेहतर जानता है इसलिए उसका कोई विकल्प नहीं है।

Leave a Comment