बच्चों की देखभाल

स्तनपान क्यों है जरुरी और कब मां का दूध न पिलाएं

Why mother breast feeding is important and when not to feed mother milk in hindi.

जाने स्तनपान क्यों है जरुरी और कब ना माँ का दूध ना पिलायें, why mother breast feeding is important and when not to feed mother milk in hindi.

अक्सर देखा गया है कि मां और शिशु से संबंधित लोगों के मन में एक सवाल उभरता है। वह सवाल है – क्या है स्तनपान ? आपको बता दें स्तनपान दूध पिलाने की एक ऐसी प्राकृतिक क्रिया है जो मां द्वारा अपने स्तनों से शिशु को दिया जाता है ,इसलिए आज हम जेनेंगे स्तनपान क्यों है जरुरी और कब मां का दूध न पिलाएं ।

स्तनपान क्यों है जरुरी ?

1. नवजात या शिशु को आहार देने का सबसे स्वास्थ्यवर्धक और लाभदायक तरीका उसे स्तनपान कराना है। दरअसल मां का दूध शिशु के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार माना गया है।

2. नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती इसलिए स्तनपान या मां का दूध बच्चे को बीमारियों से लड़ने के लिये एक कारगर दवा के रूप में काम करता है।

3. स्तनपान कराने से न केवल बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है बल्कि इससे शारीरिक, मानसिक और भावनात्क रूप से बच्चों का विकास होता है।

4. स्तनपान शिशु के लिए संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। मां का दूध पिलाने या स्तनपान करने से जरूरी पोषक तत्व बच्चे के शरीर में जाते हैं। जो उन्हें स्वस्थ्य या सेहतमंद रखते हैं।

5. मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है, जिससे बच्चों के शरीर कोई रोग उत्पन नहीं हो पाते।

6. एक अनुमान के मुताबिक विश्व में अधिकत्तर शिशु की मृत्यु इस वजह से हो जाती है कि उन्हें स्तनपान नहीं कराया जाता। देश में शिशु मृत्यु दर भी स्तनपान के साथ रोका जा सकता है।

7. आपको बता दें डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय भी शिशु के पहले छह महीने तक उसे केवल स्तनपान कराने की सलाह देता है। उसके बाद स्तनपान के साथ-साथ आप ठोस आहार देना शुरू कर सकती हैं।

बीमारियों में भी स्तनपान जरूरी

स्तनपान कितना जरूरी है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मां जब बीमार भी हो शिशु को स्तनपान कराना जरूरी होता है। साधारण रूप से मां के बीमार होने से स्तनपान करने वाले शिशु को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यहां तक कि टाइफाइड, मलेरिया, यक्ष्मा, पीलिया और कुष्ठ रोग में भी डॉक्टारों द्वारा स्तनपान पर रोक लगाने की सलाह नहीं दी जाती।

कब मां का दूध न पिलाएं ?

यूँ तो शिशु के लिए माता का दूध ही सर्वाधिक उपयुक्त रहता है, लेकिन यदि पूरी तरह से माता अस्वस्थ हो, बहुत कमजोर हो, पर्याप्त मात्रा में दूध न आता हो या माता का दूध किसी रोग के कारण दूषित हो गया हो तो इन सब स्थितियों में शिशु को माता का दूध पिलाना उचित नहीं होता है।

कब तक मां का दूध पिलाना चाहिए ?

आम तौर पर कम से कम छह महीने तक शिशु को स्तनपान कराना चाहिए और उसके बाद दो साल या उसके बाद तक भी स्तनपान कराया जा सकता है। वैसे देखा गया है कि लगातार स्तनपान कराने से बच्चा मां के दूध का आदि हो जाता है और जब वह बड़ा हो जाता है तो मां के दूध की मांग करता है इसलिए छह महीने बाद उसे अर्धठोस आहार और विविध तरह के भोजन देना शुरू कर देना चाहिए।

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