डेंगू बीमारियां

डेंगू के लक्षण और उपचार

Dengue symptoms and home remedies in hindi

डेंगू के लक्षण और उपचार - Dengue Symptoms and home remedies in hindi

बारिश का मौसम आता नहीं कि डेंगू का कहर चारों ओर छा जाता है। बारिश के मौसम में डेंगू ऐसी बीमारी है जो बहुत ज्यादा फैल जाती है। बता दें कि डेंगू एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो पहले तो मामुली बुखार की तरह आएगी और फिर धीरे-धीरे इसका प्रभाव आपके शरीर में भयानक रूप ले लेगा। इलाज सही वक्त रहते हुए अगर नहीं कराई गई तो आपकी मृत्यु निश्चित है।

जिस तरह मलेरिया की बीमारी मच्छर के काटने से होती है ठीक उसी तरह डेंगू का वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू का बुखार ज़्यादा से ज़्यादा दो हफ़्ते तक रहता है। मॉनसून (बारीश) के महीने में यह बीमारी अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर देती है।

ध्यान रहें, जो लोग शारीरिक रूप से संवेदनशील होते हैं या उनकी प्रतिरक्षा क्षमता जिसे कि इम्यूनिटी (Immunity) भी कहते हैं वह कमजोर होती है, उनमें डेंगू रोग होने की संभावना सबसे ज़्यादा होती है। यह रोग बच्चे से लेकर वयस्क सभी को प्रभावित करता है विशेषकर बच्चे संवेदनशील होने के कारण ज़्यादा प्रभावित हो जाते हैं। डेंगू का खतरनाक एडीज मच्छर दिन में काटता है, इसलिए दिन के समय भी मच्छर से खुद को बचाना बेहद जरूरी है।

यह एक ऐसा संक्रमण रोग होता है, जो मच्छरों द्वारा पैदा होता है। इस प्रकार के मच्छर गंदे पानी में नहीं पनपते, बल्कि साफ पानी से पैदा होते हैं, ऐसे मच्छर डेंगू मच्छर के नाम से जाने जाते हैं। जब भी हमें डेंगू मच्छर काटता है, तो हमें बुखार हो जाता है इस तरह के बुखार का सामना अक्सर हमें बरसात के दोनों में करना पड़ता है, इसलिए हमें घर में रखें हुए पानी को बदलते रहना चाहिए और गमलों, ट्यूबो, कूलरों में पानी को जमा नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि इस पानी में मच्छर पैदा होता है।

क्या है डेंगू के लक्षण 

डेंगू बुखार बाकी बीमारियों की तरह ही होता है, इसलिए हम इसका सही से अनुमान नहीं लगा सकते। अधिकतर मामलों में डेंगू बुखार में तेज बुखार हो जाता है साथ ही रोगी की नाक बहने, सिरदर्द, आखों में दर्द, जोड़ों में दर्द आदि का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ कई बार पेट खराब, उल्टी, दस्त आदि हो सकता है।

इस जानलेवा बीमारी डेंगू के लक्षण दो प्रकार के हैं। यूं तो पहले के चरण में इसका पता लगाना मुश्किल होता है। आइए बताते हैं क्या है प्रथम चरण (फर्स्ट स्टेज) में डेंगू के लक्षण:

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1. बुखार का टेम्परेचर (तापमान) 1040F तक चढ़ जाता है

2. जब आपको बुखार आएगी ठंड लगनी शुरू हो जाएगी
3. सर में बहुत दर्द होगा
4. मांसपेशियों या जोड़ों में भयानक दर्द रहेगा
5. गिलटी (gland) में दर्द या सूजन की शिकायत होगी
6. मन घबराएगा और उल्टी भी होगी
7. भूख लगनी बंद हो जाएगी
8. ब्लडप्रेशर कम हो जाएगा
9. तेज़ चक्कर आएगा
10. शरीर में रैशज हो जाएंगे
11. खुजली होगी
12. आपको कमजोरी का भी एहसास होगा

अब बात करते हैं दूसरे और गंभीर चरण की…

1. पेट में हमेशा तेज दर्द होना
2. पेशीशूल (myalgia)
3. लीवर में फ्लूइड का जमा होना भी गंभीर की बात है
4. सीने में फ्लूइड का जमा हो जाना
5. आपके रक्त (Blood)में बिंबाणु (platelet) का कम होना
6. रक्तस्राव (hemorrhages) होना

क्या है डेंगू रोग होने का कारण 

डेंगू जैसी बड़ी और गंभीर बीमारी बरसात के मौसम में सबसे ज़्यादा फैलती है। यह रोग मच्छर के काटने से होता है, जिसकी वजह से मच्छर को पनपने से रोकना ही सबसे महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। आइए बताते हैं कुछ प्रमुख कारण –

आपके आसपास और घर में बारिश का पुराना पानी भरे रहने से या फिर किसी प्लास्टिक के बर्तन, ड्रम या पुरानी चीजें जिनमें पानी भरा हुआ रखा हो वहां डेंगू वायरस आसानी से पनपता है, जिसके कारण यह बीमारी लोगों को हो जाती है।
घर के आस-पास के जगह को साफ-सुथरा रखना ज़रूरी होता है। डेंगू का बुखार से पीड़ित रोगी को जिस मच्छर ने काटा है उस मच्छर के काटने से डेंगू का वायरस फैलता है। इसलिए डेंगू से बचने का सबसे सरल और एकमात्र उपाय है मच्छर के काटने से आप बचे रहें।
इस रोग की सबसे बूरी बात यह है कि इसका कोई दवा, टीका या इलाज नहीं मौजूद है। मास्कीटो रिपेलेंट के प्रयोग से भी कुछ हद तक मच्छरों से बचा जा सकता है।
आपके लिए अच्छा यही होगा कि जैसे ही आपको बुखार तीन-चार दिन से हो रहा हो तो जल्द ही अपने पास के डॉक्टर को दिखाएंं और रक्त की जाँच करवाएं। इससे समय रहते ही आप डेंगू के रोग के प्रकोप से खुद को बचा पाने में सफल हो पाएंगे।

हम जानते हैं कि बीमारी के जो जड़ होती है वो है संक्रमण। यह वायरस की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से चला जाता है, डेंगू बुखार का कारण भी कुछ इसी प्रकार से है। अगर देखा जाए तो यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है, लेकिन इसका मुख्य कारण जहरीले जीवाणु को मानव के शरीर तक पहुचाना होता है। यह अलग अलग स्तिथियों में हमें अक्सर देखने को मिला है जैसे कि :-

1. देखा जाए तो डेंगू बुखार हमें तब होता है तब उस मच्छर ने पहले किसी डेंगू वाले मरीज को काटा हो।
2. यह बरसात के मौसम में फैलने वाली बीमारी होती है, क्योंकि इन दिनों में पानी अधिकतर मात्रा में जमा रहता है जिसके कारण यह मच्छर अधिक मात्रा में पैदा होते हैं।
3. डेंगू अधिकतर मात्रा में उन लोगों को होता है जो अक्सर बीमार रहते हैं अर्थात जिनमें रोग सहने की क्षमता कम हो।
4. अगर डेंगू वाले मरीज की सही से देखभाल न की जाए तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

डेंगू मच्छर से सावधान

हमें हर मौसम में साफ-सफाई रखनी चाहिए, लेकिन बरसात के दिनों में हमें सफाई पर अधिक ध्यान देना चाहिए, इसके लिए घर और आस पास में पानी को जमा नहीं हिने देना चाहिए।

1. घर में भरे हुए पानी के बर्तनों को ढक कर रखें।
2. घर में रखें हुए गमलें, कूलर का पानी हर रोज बदलें।
3. ऐसे कपड़ों को पहने जिससे शरीर को ढका जा सकें।
4. मच्छर के बचाव के लिए मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे आदि का प्रयोग करना चाहिए।

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डेंगू बुखार से बचने के आयुर्वेदिक उपचार

1. डेंगू से बचने के लिए घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।
2. नीम की पत्तियों को सुखाकर उसमें कपूर को डाल लें, फिर उसकी धुनी अपने पुरे घर में करें ऐसा करने से हम डेंगू बुखार से राहत पा सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से घर में छिपे हुए मच्छर भी बाहर निकल जाते हैं।
3. 25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर उसे पिस लें, उसमें तीन से चार तुलसी के पत्ते, काली मिर्च के दो से तीन दाने, लेकर एक लिटर पानी में उबालें। इसे तब तक उबालें जब तक इस पानी का चौथा हिस्सा न रह जाए। फिर इसका सेवन करें आप को डेंगू बुखार से राहत मिलेगी।

डेंगू में उपचार

पपीते के पत्ते
डेंगू के मरीज को पपीते की पत्तियों का रस निकालकर दिन में तीन से चार बार देना चाहिए।

तुलसी के पत्ते
डेंगू होने पर तुलसी के पत्तों को उबालकर पीना चाहिए। इसके अलावा इसका सेवन सर्दी, जुकाम और खांसी में भी लाभदायक होता है।

अनार का जूस
डेंगू में अनार का जूस बहुत ही फायदेमंद होता है, इससे खून की कमी पूरी होती है।

आंवला
आंवला में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है। इसका सेवन करने से हमारी भूख बढ़ती है।

एलोवेरा
एलोवेरा का सेवन करने से हमारी पाचन शक्ति मजबूत होती है, जिससे हमारी भूख बढ़ती है और जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक बढ़ती है इससे हम आसानी से बीमारी से लड़ सकते हैं।

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