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गैंग्रीन रोग जानलेवा हो सकता है

Gangreen disease - read in hindi

गैंग्रीन एक लैटिन भाषा का शब्द है, जो कि गैंगराइना शब्द से बना है। जिसका मतलब होता है ऊतको का सड़ना। गैंग्रीन का ज्यादा प्रभाव हाथों और पैर मे देखने को मिलता है। ग्रैंग्रीन एक तरह का इंफेक्शन होता है। जिसे रोका न गया तो ये पूरे शरीर में फैल जाता है। जिससे कई बार रोगी की मौत हो जाती है। इस रोग में शरीर की सड़ने वाले हिस्से में खून का प्रवाह रुख जाता है। इसकी वजह से रोगी के शरीर की कोशिकाओं की मौत हो जाती है।  जिससे समय बीतने के साथ शरीर सड़ने लगता है। इस रोग की शुरुआत किसी इंफेक्शन या हल्फी चोट से हो सकती है।

लक्षण –

इस रोग में शरीर में छोटे फोड़े या छाले के होते है। इस रोग में रोगी के शरीर की स्किन हल्के हरे या काले रंग की हो जाती है। इसके साथ ही शरीर के प्रभावित हिस्से में सूजन आ जाती है। घाव से बदबू आने लगती है। रोग बढ़ने पर घाव होने की संभावना भी रहती है। इसके साथ ही घाव से पानी बहने की भी समस्या आती है। शरीर में खून की कमी हो जाती है।

कारण –

मधुमेह के रोगियों और धूम्रपान करने वालों को गैंग्रीन रोग होने की संभावना ज्यादा होती है। गैंग्रीन संक्रामक रोग नहीं है। रोगी के शरीर मे सूजन आ जाती है। रोगी का शरीर आग से जले के समान दिखता है। इस रोग का प्रभाव ज्यादा उम्र वाले लोगों में होने की संभावना अधिक होती है।

सावधानी –

अक्सर लोग गैंग्रीन के रोग और फोड़, फुंसी में अंतर नहीं कर पाते हैं। इस रोग की शुरूआत भी फोड़े-फुंसी से ही होती है। ऐसे में कई बार रोग बढ़ने पर डॉक्टर के पास गैंग्रीन से प्रभावित अंग को काटने के अलावा को कोई विकल्प नहीं रहता है। हालांकि समय पर अगर रोग का इलाज हो जाएं तो इसे रोका जा सकता है।

गैंग्रीन रोग तीन तरह से अपना प्रभाव दिखाता है। सूखी गैंग्रीन, गीली गैंग्रीन, गैस गैग्रीन।

सूखी गैंग्रीन – ये रोग हाथ पैर के हिस्सों मे अपना प्रभाव डालती है। इसमें खून की सप्लाई पूरी तरह रुक जाती थी। जिससे आक्सीजन का प्रवाह रुक जाता था, जिससे स्किन का रंग काला हो जाता है।  

गीली गैंग्रीन – इस रोग में घाव से काफी मात्रा में चिपचिपा तरल पदार्थ निकलता है। जिससे शरीर से काफी बदबू आती है।

गैस गैंग्रीन – इस रोग में बैक्टीरिया इफेंक्शन के जरिये होता है, जो कि शरीर के टिश्यू में गैस उत्पन्न करता है। इसी वजह से शरीर में सूजन महसूस होती है।

उपाय – गैंग्रीन रोग से प्रभावित रोगी को सबसे पहले भारी डोज की एंटीबॉयोटि के सहारे शरीर को रखा जाता है। जिससे इंफेक्शन शरीर के अन्य हिस्सो तक न बढ सके। इसके साथ ही खून की कमी को खून चढ़ाकर दूर किया जाता है। हालांकि इससे भी रोग कंट्रोल न होने पर आखिरी उपाय ऑपरेशन ही बचता है। इसमें शरीर के सड़े टिश्यू और मांस को शरीर से निकाल दिया जाता है। गैंग्रीन के कई मामलों में प्लास्टिक सर्जरी का भी सहारा लेना पड़ता है।

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