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भावनात्मक हिंसा क्या है, जानें लक्षण और उपचार

भावनात्मक हिंसा क्या है

भावनात्मक हिंसा किसी के जीवन में किसी भी समय हो सकता है। बच्चों, किशोरों और वयस्कों सभी ने अपने जीवन में भावनात्मक हिंसा का सामना जरूर किया होगा। हालांकि भारत जैसे देश में भावनात्मक हिंसा पर बहुत ही कम लोग आवाज उठाते हैं। ऐसा शायद इसलिए क्योंकि इसमें व्यक्ति को शारीरिक रूप से चोट नहीं पहुंचाई जाती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इसका असर शारीरिक रूप से पहुचाई जाने वाली चोट से कम है।

भावनात्मक हिंसा क्या है

भावनात्मक हिंसा क्या है

भावनात्मक हिंसा को हम मनोवैज्ञानिक हिंसा के रूप में भी हम जानते हैं। किसी भी कार्य को करने से रोकना, अकेला छोड़ देने की धमकी देना, मौखिक हमला, अपमान, धमकाना, डराना या किसी भी अन्य तरह का व्यवहार, जिसमें पहचान और सम्मान को खत्म करने की धमकी शामिल है आदि सभी भावनात्मक हिंसा की श्रेणी में आते है। उदाहरण के लिए – तुम मूर्ख हो, तुम्हे कुछ नहीं आता, तुम यह नहीं कर सकते, तुम्हें उससे नहीं मिलना चाहिए आदि।

भावनात्मक हिंसा किसी भी अन्य हिंसा से ज्यादा खतरनाक होती है, क्योंकि यह पीड़ित का आत्मविश्वास तोड़कर उसके व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। जो लोग भावनात्मक हिंसा से पीड़ित होते हैं उनमें बहुत ही कम आत्मसम्मान रहता हैं, उनका व्यक्तित्व एक हारे हुए इंसान की तरह हो जाता है। वह हर समय उदास और चिंतित रहते तथा आत्महत्या करने के बारे ज्यादा सोचते हैं।

भावनात्मक हिंसा के लक्षण

भावनात्मक हिंसा के लक्षण

1. भावनात्मक हिंसा से पीड़ित व्यक्ति के अन्दर अपराधबोध की भावना बढ़ती है, जिसमें वह इस हिंसा के लिए खुद को दोषी ठहराते हैं।

2. कोई बात सुनते नहीं है और हमेशा चिल्लाते हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी होते हैं जो चिल्लाने की बजाय उदास और चिंतित रहते हैं।

3. कुछ लोगों में भावनात्मक हिंसा क्रोध के भाव को बढ़ाती है, जिससे वह सामने वाले व्यक्ति या अन्य लोगों के लिए हिंसक बन जाते हैं। वहीं कुछ लोग भावनात्मक हिंसा के डर की वजह से हिंसक व्यक्ति की हर बात का पालन करने लगते हैं।

4. भावनात्मक हिंसा का सबसे बड़ा लक्षण यही है कि इससे पीड़ित व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी देखने को मिलती है। धीरे-धीरे उसका दृष्टिकोण नकारात्मक बनता चला जाता है।

5. भावनात्मक हिंसा से पीड़ित व्यक्ति के मानसिक स्तर पर एक असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है। वह फैसले लेने से बहुत ही डरने लगता है। यही असमंजस आगे चलकर उनके द्वारा लिए जाने वाले हर निर्णय पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। – आत्मविश्वास बढ़ाने के 6 बेहतरीन उपाय

भावनात्मक हिंसा के अल्पकालिक प्रभाव

भावनात्मक हिंसा के अल्पकालिक प्रभाव

  • आश्चर्य और भ्रम
  • अपनी यादों पर सवाल उठाना
  • चिंता या डर
  • लज्जित या अपराधबोध
  • आक्रामकता (दुर्व्यवहार के प्रति बचाव के रूप में)
  • आज्ञाकारी बनना
  • बार-बार रोना
  • आई कांटेक्ट न बना पाना
  • शक्तिहीन महसूस करना

भावनात्मक हिंसा के दीर्घकालिक प्रभाव

  • डिप्रेशन
  • गिवअप कर देना
  • आत्मसम्मान की कमी
  • भावनात्मक असंतुलन
  • निद्रा संबंधी परेशानियां
  • बिना कारण शारीरिक दर्द
  • आत्मघाती विचारधारा
  • भरोसा करने में असमर्थता
  • मादक द्रव्यों का सेवन

ज्यादातर भावनात्मक हिंसा से बच्चे पीड़ित होते हैं जिसकी वजह से आगे चलकर उनके अंदर ईर्ष्या या असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है। वह आगे चलकर खुलकर अपनी बात नहीं कह पाते, जिससे कोई भी फैसले लेने में उन्हें कठिनाई भी होती है।

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