कैंसर बीमारी और उपचार

ओवैरियन कैंसर – लक्षण और उपचार

ovarian cancer symptoms and treatment in hindi

जागरुकता ही है ओवैरियन कैंसर से बचने का प्रथम उपाय

भारत में महिलाओं को पर्दे में रखने की प्रथा आज भी चलन में है। वहीं अगर इस बात महिला के गर्भाशय से संबंधित हो तो उसे समाज में बहुत ही छुपाकर रखा जाता है। इसी का नतीजा है कि देश में भारत में हर साल ओवेरियन कैंसर के 2300 मामले दर्ज़ होतें हैं। इसमें से 14 900 जानलेवा साबित होतें हैं। 70 फीसद मामले तक पकड़ में आतें हैं, जब रोग बढ़ चुका होता है। इसके साथ ही महिलाओं की गर्भाशय की समस्याओं को अक्सर प्रजनन की समस्या बताकर टाल दिया जाता है, और डॉक्टर की सलाह लेना भी जरूरी नहीं समझा जाता है। लेकिन यही लापरवाही कई बार महिलाओं में अंडाशय के कैंसर की वजह बनता है।

गर्भाशय के आसपास मौजूद दो छोटे अंगों को अंडाशय कहते हैं। महिलाओं में अंडाशय कैंसर एक गंभीर समस्या है। अगर इस बीमारी को गंभीरता से ना लिया जाए तो इससे कई महिलाओं की जान का खतरा हो सकता है। शुरुआती अवस्था में अंडाशय कैंसर का पता चलने पर इसका इलाज संभव है। लेकिन शुरुआती दौर में होने पर महिलाओं में इसके लक्षण बहुत कम दिखाई देते हैं जिसके कारण पहचान कर पाना मुश्किल हो जाता है। अंडाशय महिलाओं के प्रजनन अंग का एक हिस्सा है। इसी से महिलाओं के शरीर में अंडो व हार्मोंन का निर्माण होता है।

ओवैरियन कैंसर – लक्षण :

पेट में दर्द होना, मरोड़ उठना, गैस या सूजन, डायरिया, कब्ज़ की समस्या,  बार बार पेट खराब होना, भूख न लगना, ज्यादा भोजन ना कर पाना, अचानक वजन कम होना या बढ़ना, योनि से खून आना और बच्चे ना होने की स्थिति में भी अंडाशय के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही स्तन कैंसर और कोलोन कैंसर होने पर भी अंडाशय के कैंसर के होने की संभावना बढ़ जाती है।

अनुवांशिक हो सकता है रोग-

शोधों मे यह बात साबित हो चुकी है कि ओवरी का कैंसर वंशानुगत है। यदि किसी महिला की मां या फिर घर की बड़ी महिला को ओवरी का कैंसर हो चुका है तो उस महिला को ओवरी का कैंसर होने की आशंका सामान्य महिला से दोगुनी बढ़ जाती है। हालांकि आमतौर पर देखा गया है कि ओवरी का कैंसर जैसी समस्या महिलाओं में 40 की उम्र पार करने के बाद होती है लेकिन महिलाओं में उनके पूर्वजों के जीन आने से ओवरियन कैंसर समय से पहले भी हो सकता है।

ओवैरियन कैंसर – उपचार :

महिला के गर्भाशय कैंसर की जांच के लिए ज्यादातर मामलों में खून के नमूने लेकर जांच की जाती है।  जांच के बाद ही डॉक्टर अंडाशय के कैंसर का पता लगा सकते हैं। हालांकि कई डॉक्टर अल्ट्रासाउंड का प्रयोग भी करते हैं। अल्ट्रासाउंड से महिला के अंडाशय के आकार व उसमें होने वाली समस्याओं के बारे में जाना जाता है जो कि इलाज में काफी लाभदायक होता है। अंडाशय कैंसर की पुष्ट होने के बाद डॉक्टर सर्जरी का सहारा लेते हैं। सर्जरी में सर्जन छोटे से चीरा लगाकर सर्जिकल यंत्रों के माध्यम से कैंसर को शरीर से अलग कर देते हैं। हालांकि रोगी को चाहिए कि इसके बाद भी डॉक्टर से इसकी जांच कराते रहे, और उचित परामर्श लेते रहे।

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