दिल योग मुद्रा

हृदय रोग के लिए प्राणायाम

हृदय रोग के लिए प्राणायाम

खराब जीवनशैली के कारण, दुनिया में दिल का दौरा होने का अनुपात रोज़ाना बढ़ रहा है। यदि आप दिल की समस्याओं से पीड़ित हैं या दिल के दौरे रोकना चाहते हैं, तो आपको दिल की बीमारी के लिए योग के उन प्रभावी एक्सरसाइज का अभ्यास करना चाहिए। आइए हृदय रोग के लिए प्राणायाम के बारे में जानते हैं।

हृदय रोग के लिए भस्त्रिका प्राणायाम

हृदय रोग के लिए भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम आपके शरीर और दिमाग को ताज़ा करता है। यह पूरे शरीर में नई उर्जा का संचार करता है और स्मृति में सुधार करता है। 5-10 मिनट के लिए भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास दिल के दौरे के खतरे को रोकने या कम करने के लिए सबसे अच्छा श्वास अभ्यास है। असल में, यदि आप अंदर से मजबूत हैं, तो किसी भी बीमारी से पीड़ित होने की संभावना बहुत ही कम रहती है।

भस्त्रिका प्राणायाम का नियमित अभ्यास प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देता है और रोगों को दूर रखता है। यह आपको तनाव को मुक्त करने में मदद करता है। इसके साथ यह ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है और रक्त को शुद्ध करता है। यह न केवल दिल की बीमारी को रोकने में प्रभावी है बल्कि माइग्रेन और अवसाद जैसे रोगों को दूर करने में भी फायदेमंद है।

भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि

सबसे पहले सिद्धासन या सुखासन में बैठकर कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर और मन को स्थिर रखें। फिर तेज गति से श्वास लें और तेज गति से ही श्वास बाहर निकालें। श्वास लेते समय पेट फूलना चाहिए और श्वास छोड़ते समय पेट पिचकना चाहिए। इससे नाभि स्थल पर दबाव पड़ता है।

हृदय रोग के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम प्राणायाम दिमाग शांत करता है। यह उच्च रक्तचाप कम करता है, जो दिल की समस्याओं का कारण बनता है। इसके अलावा यह तनाव, अवसाद और चिंता को दूर करने में भी लाभकारी है। रक्त प्रवाह को बढ़ाने और दिल के दौरे को रोकने में मदद करता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की विधि

इस प्राणायाम में, आपको हाथ के अंगूठे के साथ दाएं नाक को बंद करना होगा और बाएं नाक के माध्यम से गहराई से श्वास लेना होगा। अब बाएं नाक को बंद करें और दाएं नाक से श्वास को बाहर निकालें। इस तरह आपको इस चक्र को दोहराना होगा।

हृदय रोग के लिए कपालभाति प्राणायाम

हृदय रोग के लिए कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों, स्प्लीन, लीवर, पैनक्रियाज के साथ-साथ दिल के कार्य में सुधार करता है। यह न केवल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है बल्कि धमनी के अवरोध को दूर करने में भी मददगार है।

कपालभाति प्राणायाम करने की विधि

ध्यान के किसी आसन में बैठकर आंखें बंद कर लीजिए और पूरे शरीर को शिथिल या ढीला छोड़ दीजिए। अब नाक से तेजी से श्वास को बाहर निकालने की क्रिया करें। श्वास को बाहर निकालते वक्त पेट को भीतर की ओर खींचे।

यह ध्यान दें कि सांस को छोड़ने के बाद, सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किए सामान्य रूप से सांस को अन्दर आने दें। इससे एक सकेंड में एक बार सांस फेंकने की क्रिया कह सकते हैं। इसके बाद श्वास को अंदर लीजिए। ऐसा करते वक्त संतुलन बनाये रखें। वैसे दिल के मरीजों को कपालभाती प्राणायाम धीरे-धीरे करना चाहिए।

हृदय रोग के लिए भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम दिल की समस्याओं का इलाज करने और दिल के दौरे के खतरे को कम करने के लिए यह सबसे अच्छा प्राणायाम है। इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास धमनी में अवरोध को हटा देता है और उन्हें साफ करता है। यह उच्च रक्तचाप नियंत्रित करता है जो दिल की समस्याओं को रोकने में सहायता करता है। यह एकाग्रता में सुधार करता है और तनाव और अवसाद को रिलीज करता है।

भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि

सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैंठ जाएं और अपनी आंखों को बंद करें और गहरी सांस लें। इसके दोनों हाथों के अंगूठों से अपने दोनों कान को बंद कर लें। अपनी भौहें के ठीक ऊपर अपनी तर्जनी उंगलियां रखें और बाकी सभी उंगलियां उसके ऊपर रखें। इसके बाद एक लंबी गहरी सांस लें। इसके बाद बिना मुंह खोले भ्रमर की आवाज़ निकालें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें।

डिसक्लेमर : Sehatgyan.com में जानकारी देने का हर तरह से वास्तविकता का संभावित प्रयास किया गया है। इसकी नैतिक जिम्मेदारी sehatgyan.com की नहीं है। sehatgyan.com में दी गई जानकारी पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। अतः हम आप से निवेदन करते हैं की किसी भी उपाय का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलह लें। हमारा उद्देश्य आपको जागरूक करना है। आपका डाॅक्टर ही आपकी सेहत बेहतर जानता है इसलिए उसका कोई विकल्प नहीं है।

Leave a Comment