योग मुद्रा

पेट के रोगों के लिए योग

पेट के रोगों के लिए योग

योग सेहत के लिए बहुत ही जरूरी है यह न केवल आपके तनाव को कम करता है बल्कि कई रोगों से भी आपको दूर रखता है। अगर अपको पेट से संबंधित समस्या है तो आपके लिए योग फायदेमंद साबित हो सकता है। आइए जानते हैं, पेट के रोगों के लिए योग कौन से है।

पेट के रोगों के लिए धनुरासन

धनुरासन न केवल वजन को कम करने में गुणकारी है बल्कि यह पाचन और भूख में सुधार करने के लिए भी जाना जाता है। यह ब्लड सर्कुलेशन में सुधार तो करता है साथ ही कब्ज का भी इलाज करता है। धनुरासन करने से पाचन शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा यह लिवर रोग, कमर दर्द और पेट संबंधी रोगों में भी फायदेमंद है।

धनुरासन करने की विधि

धनुरासन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाइए फिर धीरे-धीरे घुटनों की एड़ियों को हाथों से पकड़कर पैरों को उपर की तरफ ले जाएं। इसके बाद जांघों को उपर की तरफ उठाने के साथ दोनों हाथों से दोनों पैरों को पीठ की तरफ खीचिए। अपनी क्षमता के अनुसार सिर और जांघों को उपर की तरफ उठाने की कोशिश करें।

अगर आप इस योग में नए हैं तो इस अवस्था में आप कुछ सेकेंड तक रहें। फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए वापस अपनी पहली स्थिति में आ जाइए। इसे आप 4 से 5 बार दोहरा सकते हैं।

पेट के रोगों के लिए हलासन

पेट के रोगों के लिए हलासन

हलासन थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इससे नियमित रूप से करने से मांसपेशियां लचीली बनती है। हलासन से रीढ़ की हड्डियां लचीली बनी रहती है जिससे शरीर फूर्तिला और जवां बना रहता है। इसके अलावा यह तनाव और चिंता को भी कम करता है। इस आसन से पाचन तंत्र और मांसपेशियों को शक्ति मिलती है। इसके अभ्यास से पाचन तंत्र सही रहता है।

हलासन करने की विधि

हलासन करने के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। अपने शरीर को एकदम से ढीला छोड़ दें। इसके बाद श्वास को अंदर की ओर लेते हुए अपने दोनों पैरों को धीरे-धीरे करके 90 डिग्री तक उठाएं। इस स्तिथि में आने के बाद अपने दोनों पैरों को अपने सिर के पीछे जमीन पर टिकने की कोशिश करे। आप कमर और पीठ को पीछे झुकाने के लिए अपने दोनों हाथों का सहारा ले सकते हैं। फिर धीरे-धीरे आप मूल अवस्था में आ सकते हैं।

पेट के रोगों के लिए सर्वांगासन

पेट के रोगों के लिए सर्वांगासन

सर्वांगासन आपके तंत्रिका तंत्र को बढ़ाता है और आपके रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता है। आपको बता दें कि शरीर के सम्पूर्ण अंगों का आसन ही सर्वांगासन है। इसलिए इसे सर्वांगासन भी कहते हैं। वजन नियंत्रित करने में सहायक सर्वांगासन आपकी आंखों एवं मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है। यह आसन पाचन क्रिया शुद्ध करता है तथा शरीर में रक्त की वृद्धि कर यह रक्त शोधक का कार्य भी करता है।

सर्वांगासन करने की विधि

सर्वांगासन करने के लिए आप कमर के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लें और अपने शरीर को ढीला कर दें। सांस लेते हुए धीरे-धीरे से अपने पैरों को बिना मोड़े हुए ऊपर की तरफ उठाएं। जैसे-जैसे आप के पैर ऊपर की ओर उठें वैसे-वैसे अपनी कमर को भी ऊपर की तरफ उठाएं।

अपने पैरों और पीठ को 90 डिग्री तक उठाने का प्रयास करें। इस योग को करते हुए आपका मुंह आकाश की तरफ होना चाहिए और कुहनियां जमीन के साथ टिकी हुई होनी चाहिए। अपनी क्षमता अनुसार कुछ समय इस अवस्था में बने रहें और फिर अपनी पुरानी अवस्था में आ जाएं।

उपरोक्त योग के अलावा आप कपालभाती, उत्तानासन और नौकासन आदि जैसे आसन भी आप कर सकते हैं।

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