योग मुद्रा

सेतुबंधासन करने की विधि, लाभ और सावधानियां

सेतुबंधासन करने की विधि और लाभ विस्तार में जाने

योग कसरत करने के लिए एक सुविधाजनक रूप साबित हो रहा है। इसे आप घर से लेकर पार्क कहीं भी कर सकते हैं। लंबे समय तक काम करने की वजह से आजकल पीठ दर्द की समस्या हो रही है। कई बार ये पीठ दर्द हमें कई-कई घंटों तक परेशान करता है। अगर आप इस समस्या से ग्रसित हैं, तो आपको नियमित रूप से सेतुबंधासन का सहारा लेना चाहिए। सेतुबंधासन जिसे हम ब्रिज पोज के नाम से जानते हैं बहुत ही प्रभावी आसन है। इसे संस्कृत के शब्द सेतु से लिया गया है, जिसका अर्थ है पुल।
पीठ को मजबूत करने के लिए यह आसन उत्कृष्ट है। सेतुबंधासन पेट की मांसपेशियों को फैलता है क्योंकि पेट में वसा पिघलने के लिए एक उत्कृष्ट मुद्रा है। आइए जानते हैं सेतुबंधासन करने की विधि और लाभ के बारे में…

सेतुबंधासन करने की विधि

1. सबसे पहले पीठ के बल लेट जाइए। इसके बाद अपने दोनों पैरों को कूल्हे की तरफ खींचें।
2. अब दोनों पैरों में थोड़ा अंतर रख लें व हाथों से पैरों के टखनों को पकड़ लें। ध्यान दीजिए, आपके पैर एक दूसरे के समानांतर होने चाहिए।
3. अब अपनी पीठ, कूल्हे और जांघों के साथ छत की तरफ उठने का प्रयास कीजिए। यहां कमर को ज्यादा से ज्यादा ऊपर उठा लें और सिर व कंधे जमीन पर ही रहने दें।
4. इस बात का ध्यान दीजिए कि आपकी ठुड्डी आपकी छाती से टच करती हो।
5. अंतिम स्थिति में पहुंचने के बाद सांस की गति सामान्य रखें, कुछ देर के लिए रोकें।
6. लौटते समय पहले अपनी पीठ को जमीन पर लाएं, फिर कमर का ऊपरी हिस्सा व अंत में कमर जमीन पर ले आएं।

सेतुबंधासन करने के लाभ

1. यह आसन पेट की मांसपेशियों और पीठ की मांसपेशियों को सुदृढ़ बनाना है।
2. रीढ़ और जोड़ों को लचीलापन बनाने का काम सेतुबंधासन करता है।
3. नियमित अभ्यास करने से यह मूड स्विंग, अवसाद, सिर में भारीपन, माइग्रेन, और दूसरों के बीच चिंता विकारों के उपचार में सहायता कर सकता है।
4. यह आपकी रीढ़ और मस्तिष्क स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सबसे अच्छा आसन है।
5. सेतुबंधासन स्लिप डिस्क या ऊपरी / निचले पीठ दर्द जैसी स्थितियों में सहायक होता है।
6. इस आसन के नियमित अभ्यास से रक्त परिसंचरण में भी सुधार होता है।
7. सेतुबंधासन उच्च रक्तचाप, साइनसाइटिस, अस्थमा, अनिद्रा और ऑस्टियोपोरोसिस में सहायता करता है।
8. सेतुबंधासन गर्भवती महिलाओं को लाभ देता है। यह मासिक धर्म के दर्द और लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह रजोनिवृत्ति (मोनोपॉज) के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है।
9. सेतुबंधासन पाचन अंगों की मालिश करता है, जिससे पाचन में सुधार करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह कब्ज की समस्या से भी राहत देता है।
10. फेफड़ों और थायराइड की समस्या में यह आसन बहुत ही लाभकारी है।
11. सेतुबंधासन का नियमित अभ्यास से फेफड़ों को मजबूती मिलती है और थायराइड की समस्याएं घट जाती हैं।
12. यह आसन पीठ के मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है, तथा पीठ के तनाव को राहत देने में भी मदद करता है।

सेतुबंधासन करने के लिए सावधानियां

1. यह आसन तब किया जाना चाहिए जब आपकी आंत और पेट बिल्कुल खाली हो।
2. यदि आपको किसी भी तरह पीठ संबंधित समस्या है तो आप इस आसन कभी न करें।
3. गर्भवती महिलाएं इस तरह के आसन से खुद को दूर रखें। यदि करना है तो विशेषज्ञों की सलाह लें।
4. जो लोग गर्दन की चोट से ग्रस्त हैं उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।

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