योग मुद्रा

सिर का चक्कर दूर करे ये 5 आसन

सिर का चक्कर दूर करे आसन

वर्टिगो या चक्कर आना एक विकार है या एक बीमारी का लक्षण हो सकता है, जहां व्यक्ति को लगता है कि उसके चारों ओर की सभी वस्तुएं चल रही है। यह एक प्रकार का विकार है जो आंतरिक कान में समस्याओं के कारण होता है। आंतरिक कान में कोई भी समस्या ठंड, फ्लू जैसे वायरल संक्रमण का कारण यह हो सकता है। आइए जानते हैं सिर के चक्कर दूर करने के कुछ योग के बारे में…

अनुलोम विलोम

यह योग मुद्रा शरीर में रक्त परिसंचरण या ब्लड सर्कुलेशन में मदद करता है, और आपके तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है। गहरी सांस लेने का व्यायाम ऑक्सीजन की आपूर्ति के साथ रक्त को बढ़ाता है और नसों को खोलता है। इसके अलावा अनुलोम विलोम तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

अनुलोम विलोम करने की विधि

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सिद्धासन या सुखासन की स्थिति में बैठ जाएं। इसके बाद दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस को भरे और उसे होल्ड करें, फिर उसे छोड़े।

फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। इसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और दायीं नासिका से सांस को बाहर निकालें। ऐसा माना जाता है कि शुरुआत और अंत हमेशा बाएं नथुने से करनी चाहिए।

पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन

यह योग अभ्यास तनाव, चिंता, और थकान को रिलीज करता है। सिर का चक्कर दूर करने में यह फायदेमंद पाया गया है। इसके अलावा पश्चिमोत्तानासन तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।

पश्चिमोत्तानासन करने की विधि

सबसे पहले जमीन पर चटाई या दरी बिछाकर जमीन पर बैठ जाएं। अब आप दोनों पैरों को सामने फैलाएं। पीठ की पेशियों को ढीला छोड़ दें। सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके। फिर अपने हाथ से उंगलियों को पकड़ने और नाक को घुटने से सटाने की कोशिश करें। धीरे धीरे सांस लें, फिर धीरे धीरे सांस छोड़े और अपने हिसाब से इस अभ्यास को धारण करें। – दिल को मजबूत बनाने के लिए योग

शवासन

शवासन

शवासन सिर के चक्कर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। यह आसन आराम की गहन और ध्यान देने वाली अवस्था लेकर आती है, जो तनाव मुक्त करने और तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में सहायता करती है।

शवासन करने की विधि

सबसे पहले पीठ के बल लेट जाइए और दोनों भुजाओं को शरीर के बगल में रखिए तथा हथेलियां उपर की ओर खुली रखें। पैरों को एक दूसरे से थोड़ा दूर कर लें और आखों को बंद कर लीजिए। इसके बाद शरीर को ढीला छोड़ दीजिए। इस अवस्था में ये ध्यान रखिए कि आपका शरीर हिले ना। इसके बाद श्वास को सहज होने दीजिए तथा मस्तिष्क को श्वास-प्रश्वास के प्रति जागरुक होने दीजिए। आपका ध्यान दूसरी जगह न जाए इसके लिए श्वास-प्रश्वास की गिनती कीजिए।

हलासन

हलासन

यह मुद्रा मांसपेशियों, गर्दन, कंधों को मजबूत करने में मदद करता है। यह तंत्रिका तंत्र को आराम और मजबूत करने में सहायता करता है और वर्टिगो या सिर के चक्कर आने से निपटने में भी सहायता कर सकता है। इसके अलावा हलासन कंधे और गर्दन को मजबूत कर सकता है।

हलासन करने के विधि

चटाई बिछाकर सबसे पहले आराम की मुद्रा में साफ़ जगह पर ले जाएं तथा दोनों हाथों को साइड में रखें। इसके बाद अपने शरीर को एकदम से ढीला छोड़ते हुए और श्वास को अंदर की ओर लेते हुए अपने दोनों पैरों को धीरे-धीरे करके उठाएं और 90 डिग्री तक ले जाएं। फिर इसके बाद 180 डिग्री तक ले जाएं और अपने दोनों पैरों को अपने सिर के पीछे जमीन पर टिकाने की कोशिश करे। अपनी कमर और पीठ को पीछे झुकाने के लिए अपने दोनों हाथो का सहारा लें। इस आसन में घुटनों का मुड़ना नहीं होता है। – पेट के रोगों के लिए योग

षण्मुखी मुद्रा

यह मुद्रा आपके दिमाग और तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करता है। यह चिंता और जलन को कम करने में भी सहायता करता है।

षण्मुखी मुद्रा करने की विधि

कमर को सीधे करते हुए चटाई पर बैठ जाएं। अपने कोहनी को अपने कंधे के स्तर तक उठाएं और अपने अंगूठे से कान को बंद करें। अपनी आंखें बंद करें और धीरे-धीरे अपनी पलकों पर इंडेक्स या तर्जनी उंगली को रखें।

अपनी नाक को अपनी मध्यम उंगली से सील करें। अपनी रिंग और छोटी उंगली से होंठ के क्षेत्र को घेर लें। इसके बाद अपने नाक से सांस लीजिए और उसे होल्ड कीजिए तथा रिलीज कीजिए। इसके लिए आप श्वास की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करें।

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