क्या हैं मूर्च्छा के लक्षण और उपचार

मूर्च्छित होने या बेहोशी के कई कारण हो सकते हैं. इनमें से गर्मी के कारण दौरा पड़ने, मिर्गी, दम घुटने या हृदय पर कोई चोट या सदमा लगने से मूर्च्छा के कारण होते हैं. समय-कुसमय मूर्च्छित होने से शरीर पर चोटें भी आ सकती है. इसलिये समय रहते आप चेत जाने के लिये इसके लक्षणों या चिन्हों की जानकारी जरूरी हो जाती है.

मूर्च्छा के लक्षण और चिन्ह

मूर्च्छा आने से पहले चेहरे का रंग पीला पड़ने लगता है और ठंडे पसीने आने लगते हैं. बेहोश होने वाले को ऐसा लगता है कि उसका दिमाग काम करना बंद कर चुका हो. व्यक्ति को चारों ओर धुंधला-सा दिखने लगता है. बेहोश होने वाले वयक्ति के नाड़ी और हृदय की गति मन्द पड़ जाती है और साँसें धीरे-धीरे चलने लगती है. पीड़ित को चक्कर आते हैं और वह अचानक मूर्च्छित होकर फर्श पर गिर पड़ता है.

मूर्च्छा के उपचार के नियम

जैसे ही आपके आसापास कोई मूर्च्छित होकर गिरे, ऐसी व्यवस्था करें कि उसे चारों ओर से शुद्ध और प्रचुर मात्रा में हवा मिल सके. किसी भी तरीके से उसके श्वास मार्ग में बाधा नहीं पड़नी चाहिये. फौरन ही उसके गर्दन, कमर और छाती से लिपटे कपड़ों को ढीला कर दें. अगर पीड़ित साँस न ले पा रहा हो तो कृत्रिम तरीके से उसे साँस दिलायें. सिर पर चोट लगी हो तो नमक सूँघने को न दें. यदि सिर पर चोट न लगी हो तो सूँघने वाला नमक सुँघाना चाहिये. चेहरे का रंग लाल होने पर गर्दन को और पीला होने पर टाँगों को ऊँचा करें. बेहोश होने वाले व्यक्ति के सिर पर शीतल जल के छींटे मारें पर पीने को कुछ न दें. मुँह में पानी की बूँदें डाली जा सकती हैं. हालांकि, रक्तस्राव होने पर यह भी न दें. मूर्च्छा टूटने पर गर्म दूध या चाय दी जा सकती है.