गर्भवती होने के लक्षण

किसी स्त्री का गर्भ धारण करना अद्भुत है क्योंकि उस गर्भ में जीवन की नई आशा होती है. नये जीवन की उम्मीद तन-मन में हर्ष की अनुभूति कराती है जिसके गर्भ में आने से स्त्रियों को कुछ शारीरिक बदलावों से गुजरना होता है. ये शारीरिक बदलाव एक तरह के संकेत हैं जिनको समझना जरूरी होता है. वैसे तो बाजार उन तमाम तरह के मशीनों, उपकरणों या अन्य सामग्री से पटी पड़ी है जिससे गर्भ धारण के संकेत मिल जाते हैं, फिर भी इन संकेतों को देखते ही स्त्रियों के गर्भ से होने का पता लगाया जा सकता है.

शुरूआती लक्षण

बेचैनी, घबराहट, कब्ज़, वमन आदि गर्भ धारण करने के शुरूआती लक्षण हैं. इनमें से वमन प्रमुख है जिससे सुगमता से महिला के गर्भ से होने का पता लगाया जा सकता है.

मासिक चक्र

अमूमन गर्भावस्था की शुरूआत में मासिक चक्र रूक जाती है. पर ऐसा सभी स्त्रियों के साथ नहीं होता. मासिक चक्र के रूक जाने के अन्य कारण भी हो सकते हैं. शुरूआती आठ सप्ताह में हल्का रक्तस्राव गर्भ धारण करने के लक्षण हो सकते हैं.

छाती का भारी होना

किसी स्त्री को अगर अपनी छाती भारी लगने लगे तो इसे गर्भ धारण करने का एक संकेत माना जा सकता है. यह भारीपन छाती में सूजन के कारण आती है जिसके पीछे का कारण हॉर्मोन्स में बदलाव हैं. महिला की छाती के ऊतक हॉर्मोन्स के प्रति अत्यंत संवेदनशील होते हैं.

चूचक के रंग में बदलाव

गर्भ को धारण करने के दौरान हॉर्मोन्स में होने वाले बदलावों से मेलानोसाइट्स प्रभावित होती है. इससे उन कोशिकाओं पर असर पड़ता है जो चूचक के रंग के लिये उत्तरदायी है. स्त्री के गर्भवती होने पर चूचक का रंग गहरा हो जाता है.

शारीरिक तापमान में बदलाव

गर्भाशय में नये जीवन के सृजन से ही स्त्रियों के शारीरिक तापमान में परिवर्तन होते रहते हैं. इस दौर में स्त्रियों के शरीर का तापमान सामान्य से अधिक बना रहता है.

सिर्फ इतना ही नहीं, गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों के मिजाज़ में भी परिवर्तन होते रहता है. कभी उन्हें कोई चीज अच्छी लग सकती है तो कभी वही चीज बुरी.