योग मुद्रा – मत्स्यासन की विधि और लाभ

अक्सर ऑफिस या घर पर काम करते वक्त पीठ या कमर में दर्द होने लगता है। ये दर्द कई-कई दिनों तक हमें परेशान करते हैं। इसलिए मत्स्यासन कीजिए। यह न केवल दमें के रोगियों के लिए सही है बल्कि इस आसन से चेहरे की चमक भी बढ़ती है।  

मत्स्यासन की विधि 

पदासन में हाथों का सहारा लेते हुए पीछे की ओर तब तक झुकिये जब तक कि सिर का ऊपरी हिस्सा जमीन से छूने न लगे। पैरों के अंगूठों को पकड़िये। कुहनियां जमीन से सटी रहें। 

प्रकारांतर 

दोनों हाथों की अंगुलियों को एक-दूसरे में फंसा लीजिये और हथेलियां ऊपर की ओर करके दोनों हाथों को सिर के नीचे जमीन पर रखिये। सिर के पिछले भाग को हथेलियों पर आराम से टिकने दीजिये। अंतिम स्थिति में लम्बी व गहरी श्वास लीजिये। अंतिम स्थिति में पहले 3 और बाद में मिनट रूकिये। ध्यान दीजिए शरीर पर जोर मत डालिये। आप चाहे तो इस आसन के जरिए आप एकाग्रता का भी अभ्यास कर सकते हैं। मत्स्यासन को यदि आप सर्वागासन व हलासन के बाद करते हैं तो फायदा होगा।  अगर इस आसन को करने में आपको कठनियाई हो रही हो वैकल्पिक आसन के रूप में सुप्त वज्रासन भी किया जा सकता है। वैसे आप मत्स्यासन सरल रूप से कर सकते हैं। 

मत्स्यासन (सरल रूप 1) 

विधि एक पैर को मोड़कर दूसरे पैर की जांघ पर अर्ध पदासन की स्थिति में रखिये। दूसरा पैर सीधा रखिये। कुहनियों का सहारा लेते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकिये। धीरे से धड़ के ऊपरी भाग को जमीन पर रखिये। मुड़े हुए पैर के पंजे को दोनों हाथों से पकड़िये। अंतिम स्थिति में जब तक आराम से रह सकें, रहिये  फिर पूर्व स्थिति में आ जाइये। वैकल्पिक रूप में सिर के पिछले हिस्से को जमीन पर टिका सकते हैं। 

मत्स्यासन (सरल रूप 2) 

विधि दोनों पैर सामने की ओर सीधे रखिये। शरीर के ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे पीछे की ओर उसी तरह झुकाइये जिस प्रकार मत्स्यासन में झुकाते है। सिर के ऊपरी हिस्से को आराम से जमीन पर रखिये तथा पीठ को गोलाकार झुकाकर दोनों हाथों को जांघों पर रख लीजिये। अंतिम स्थिति में कुछ देर रूकें उसके बाद फिर पूर्व स्थिति में वापस आ जायें। 

मत्स्यासन के लाभ 

1. उदर सम्बन्धी सभी प्रकार की बीमारियों के लिए बहुत उपयोगी है। 

2. दमें के रोगियों के लिए यह आसन बहुत ही लाभदायक है। 

3. कमरदर्द और पीठ में जमे रक्त के संचारण में मददगार है। 

4. इससे न केवला आंखों की रोशनी बढ़ती है बल्कि गला भी साफ रहता है और छाती और पेट के रोग भी दूर होते हैं। 

5. गर्भाशय, जननांगो और पेल्विक प्रदेश की कार्य क्षमता में बढ़ाता करता है। 

6. इस आसन को नियमित रूप से करने वाले पेट तथा गर्दन की चर्बी तथा खांसी को दूर कर सकते हैं। 

7. इस आसन की वजह से चेहरे पर तेज और चमक आती है। 

8. थाइरोइड, मधुमेह और श्वास के रोग में भी यह आसन फायदेमंद है। 

सावधानियां 

1. घुटनों में दर्द, उच्च रक्तचाप, स्लिप डिस्क, ओर रीढ़ की समस्या होने पर इसे न करें।

2. छाती व गले में अत्यधिक दर्द या अन्य कोई रोग होने की स्थिति में यह आसन न करें।

3. कम आयु के बच्चे को यह आसन नहीं करना चाहिए। 

4. माइग्रेन और अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति को यह आसन नहीं करना चाहिए।