मिर्गी के लक्षण और मिर्गी का उपचार

मिर्गी उन बीमारियों में शामिल हैं जिनका सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है। इसमें मस्तिष्क की विद्युतीय प्रक्रिया में व्यवधान पड़ने से इंसान के शरीर के अंगों में आक्षेप आने लगते हैं। इसके परिणामस्वरूप दौरा अधिकांश रोगी बेहोश हो जाते हैं और उनकी आँखों की पुतलियां उलट जाती हैं। रोगी चेतना शून्य हो जाता है और उनके अंगों में झटके आने शुरू हो जाते हैं।

जो व्यक्ति मिर्गी से पीड़ित होता है उस व्यक्ति को दौरे पड़ते हैं, कई बार व्यक्ति बेहोश भी हो जाता है। वैसे तो यह बहुत ही कम देखने को मिलता है, लेकिन यह एक ऐसी बीमारी है, जिसे लेकर अक्सर लोग बहुत ही चिंतित रहते हैं। मिर्गी मस्तिष्क से जुडी हुई बीमारी है। यह रोग अत्यधिक नशीले पदार्थों के सेवन से, मस्तिष्क में गहरी चोट लगने से, तेज बुखार, मानसिक सदमा लगने से से होता है।

मिर्गी के कारण
मिर्गी होने पर दौरे पड़ने लगते हैं, कभी-कभी रोगी के हाथ-पैर या गर्दन भी मुड़ जाता है। कई बार रोगी का शरीर अकड़ जाता है या फिर रोगी बाहोश हो जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी है…

1. बिजली का झटका लगने पर।
2. तम्बाकू, शराब, या अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन करने से।
3. तनाव में रहने से।
4. सिर में चोट लगने पर।
5. पूरी नींद न लेने पर और शारीरिक और मानसिक क्षमता से अधिक काम करने से।
6. जन्म के समय मस्तिष्क में पूर्ण रूप से ऑक्सीजन का न होना।

मिर्गी के लक्षण

जब भी रोगी को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं, तो बहुत से शारीरिक लक्षण नजर आते हैं, जब भी मिर्गी के दौरे पड़ते हैं तब हमें अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं जैसे कि :-

  1. चक्कर आने पर जमीन पर गिर जाना।
  2. शरीर में कमजोरी आना।
  3. चिड़चिड़ाहट का महसूस होना।
  4. आँखे ऊपर की ओर हो जाना और चेहरा नीला पड़ जाना।
  5. हाथ, पैर और चेहरे की मांसपेशियों में खिचाव पैदा होने लगना।
  6. सिर और आँखों की पुतलियों में लगातार मूवमेंट का होना।
  7. पेट में गड़बड़ी।
  8. मिर्गी के दौरे के बाद मरीज उलझन में होता है, नींद से बोझिल और अपने आप को थका हुआ महसूस करता है।
  9. मुँह में झाग आना मिर्गी का एक प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा मिर्गी के ये भी लक्षण हैं –

मिर्गी का चेतना विहीन रोगी कुछ कह या बोल नहीं पाता। रोगी की मुट्ठियाँ भिंच जाती है और उसका पूरा शरीर कड़ा हो जाता है। मिर्गी-पीड़ित की आँखें, स्थिर, हाथ-पाँव ठंडे और सुन्न और उसकी पुतलियाँ स्थिर हो जाती है। रोगी के दाँत भिंच जाते हैं और अक्सर जीभ कट जाती है। कई बार मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति उग्र और हिंसक हो जाता है और आस-पास खड़े लोगों को मारने और काटने के लिये दौड़ता है। इस दौरान उसके खुद के शरीर पर भी चोट लग जाती है। मिर्गी का दौरा समाप्त होने पर रोगी शारीरिक कमजोरी को महसूस करता है।

मिर्गी पर नियंत्रण के उपाय

समूची दुनिया में कई करोड़ लोग इस बीमारी से दो-चार हो रहे हैं। इसलिये इस पर नियंत्रण के उपायों को जानना आवश्यक हो जाता है। माना जाता है कि रोगी को तुलसी की पत्तियों के साथ कपूर सुंघाने से होश आ जाता है। मिर्गी रोगी को दौरा पड़ने पर राई का चूर्ण सुंघाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

शहतूत का रस मिर्गी से जूझ रहे लोगों के लिये लाभदायक होता है। मिर्गी के रोगी के लिए ताजे फलों का रस लाभदायक होता है जिनमें से महत्तवपूर्ण है अंगूर का रस। मिर्गी रोगियों के नाक में प्याज के रस की कुछ बूँद डालें। इससे उन्हें होश आ जाता है। मिर्गी रोगी की बेहोशी दो-तीन मिनट से ज्यादा होने पर जान जाने का खतरा बना रहता है। ऐसे मामलों में फौरन चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

मिर्गी के घरेलू उपाय

जब भी किसी को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं, तो अक्सर उसके घर वालों को भी इस परेशानी का सामना करना पड़ता है। मिर्गी से बचने के लिए हम कुछ घरेलू उपाय भी कर सकते हैं जैसे कि…

1. जितना हो सके तनाव से दूर रहें और साथ ही संतुलित आहार का सेवन करें।
2. मिर्गी वाले रोगी को व्यायाम करना चाहिए, इससे उसे फायदा मिलता है।
3. मिर्गी वाले रोगी को सेब के जूस का सेवन करना चाहिए।
4. शहतूत का रस, अंगूर का रस मिर्गी के रोगियों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।
5. गाय से बना हुआ मक्खन मिर्गी वाले रोगी के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
6. मिर्गी वाले रोगी को हर रोज तुलसी के 20 पत्तों को धोकर खाना चाहिए। इसे मिर्गी का रोग जल्द ही ठीक हो जाता है।
7. मिर्गी वाले रोगी को नीबूं में थोड़ी से हिंग लगाकर चूसने से बहुत ही फायदा मिलता है।
8. मिट्टी को पानी से गीला करके पुरे शरीर पर लगाने से बहुत ही लाभ मिलता है।
9. पिसी हुई राई का चूर्ण रोगी को दौरा पड़ने पर ही सुँघा देने से रोगी की बेहोशी दूर हो जाती है।
10. पेठा मिर्गी के लिए सर्वश्रेष्ठ घरेलू उपाय है। इसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी – रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी भी बनाई जाती है लेकिन इसका जूस पीना बहुत ही लाभकारी होता है। स्वाद सुधारने के लिए इसके रस में शक्कर और मुलहटी का पाउडर भी मिलाया जा सकता है।

मृग मुद्रा
इस मुद्रा की आकृति एक मृग के सिर के समान हो जाती है, इसलिए इसे मृग आसन कहा जाता है। इसको करने के लिए अपने हाथ की अनामिका और मध्यमा अंगुली को अंगूठे के अगले भाग से स्पर्श करें बाकी दोनों अंगुलियों को सीधा रखें।

मृग मुद्रा के फायदे 
1. यह मुद्रा मिर्गी रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है।
2. इसको हर रोज करने से दिमागी परेशानी और सिर दर्द ठीक हो जाती है।
3. इसको करने से दंत रोग में भी फायदा मिलता है।