व्रत हैं जरूरी, पर किन्हें यह नहीं करना चाहिये

उपवास या व्रत ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा होने के साथ ही सेहतमंद होने का एक तरीका भी है. गरिष्ठ पदार्थों के सेवन से बिगड़े पाचन तंत्र को सुधारने का भी एक तरीका उपवास या व्रत है. उपवास से मल-मूत्र के विकार दूर होते हैं. कहा यह भी जाता है कि उपवास या व्रत से रक्त संचार में सुधार होता है और रोगों से लड़ने की क्षमता में भी सुधार होता है. माना जाता है कि सप्ताह में एक दिन उपवास के लिये रखा जाना चाहिये. 

हालांकि, हर व्यक्ति को बिना जाने-समझे और चिकित्सीय सलाह के व्रत नहीं करना चाहिये. यह जानना भी जरूरी है कि किन व्यक्तियों को व्रत नहीं करना चाहिये. तो जानिये, उन लोगों के विषय में जिन्हें व्रत नहीं करना चाहिये..

**वैसे व्यक्ति जिनका रक्तचाप कम हो और जिनके शरीर में शर्करा का मात्रा सामान्य स्तर से भी नीचे हो.

**नवजात बच्चे को स्तानपान कराने वाली या गर्भवती महिलाओं को व्रत नहीं रखना चाहिये. 

**मिरगी पीड़ितों या तपेदिक रोगियों को व्रतों से परहेज रखना चाहिये. 

**रोगियों, कुपोषण से ग्रस्त लोगों की सेहत व्रत से और बिगड़ सकती है.

**अशक्त बुजुर्गों और भारी-भरकम काम करने वाले मजदूरों को व्रत से परहेज करना चाहिये. 

किसी भी रोग से ग्रसित लोगों को सावधानी बरतते हुए ही व्रत करना चाहिये.