कुत्ता और मधुमक्खी के काटने पर दें ये प्राथमिक चिकित्सा

आकस्मिक दुर्घटनाओं की प्रकृति ही यह होती है कि वो बता कर नहीं आती। अनायास ही ये घटित होती हैं। आकस्मिक दुर्घटनाओं में प्राथमिक चिकित्सा की भूमिका अहम होती है। प्राथमिक चिकित्सा से आशय दुर्घटना के घटित होने के फौरन बाद किये गये उपचार से होता है। इस उपचार के लिये विशेषज्ञता की जरूरत नहीं होती। सामान्य बुद्धि वाला व्यक्ति भी उचार के इन प्राथमिक युक्तियों को कर सकता है।

प्राथमिक चिकित्सा की जरूरत इसलिये होती है क्योंकि दुर्घटनाग्रस्त या पीड़ितों को होने वाले भारी-भरकम अथवा अपूरणीय क्षति से बचाने में इसकी भूमिका अहम होती है। प्राथमिक चिकित्सा के लिये घरों में साफ पट्टी, साफ रूई, जंग रहित कैंची कीटाणुनाशक घोल, थर्मामीटर आदि की जरूरत पड़ती है। घरों में इनकी उपलब्धता कई बार दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान तक बचाने में सहायक होती है।

कुत्ते के काटने पर प्राथमिक चिकित्सा

कुत्ते के काटने पर सबसे अहम है उसके बारे में जानकारी रखना। अगर किसी को काटने वाले कुत्ते को नियमित रूप से चिकित्सक की देख-रेख में सुई लगती हो तो चिंता की कोई बात नहीं होती। अगर काटने वाले कुत्ते को सुईयाँ नहीं लगती हो चिंतित होना वाजिब है। इसलिये कुत्ते के काटने के बाद उस कुत्ते पर नजर रखें. अगर उस कुत्ते में रेबिज़ के लक्षणों का उभार दिखायी दे अथवा वह दस दिनों में मर जाये अथवा भाग जाये तो चिकित्सक की सलाह लें। चिकित्सक की सलाहानुसार रेबिज़ के टीके लगवाएं।

त्वचा का कटना

अमूमन घरों में सब्जी काटते वक्त अथवा अन्य कारणों से त्वचा छिल अथवा कट जाती है। अगर कभी त्वचा में खरोंच लगे या कट जाये तो उस स्थान को साबुन और साफ पानी से फौरन धो लें। डेटाल जैसी कीटनाशक दवा को त्वचा के प्रभावित हिस्से पर लगायें। इसके बाद उस स्थाने को साफ कपड़े की पट्टी से बाँध दें। साफ कपड़े की पट्टी प्रभावित स्थान को कीटाणुओं, मक्खियों आदि के सम्पर्क में आने से बचाने के लिये बाँधी जाती है।

अगर यह मात्र खरोंच न होकर गहरा कटा हो तो चिकित्सा विशेषज्ञ से मिलें। अगर चिकित्सक को जरूरी लगे तो वह टांके लगा सकता है। कई बार त्वचा कील अथवा लोहे की किसी नुकीली वस्तु से छिल या कट जाती है। ऐसी स्थिति में चिकित्सक टेटनस की सुई लगाते हैं या लगाने की सलाह देते हैं। इसका कारण यह है कि जंग लगी वस्तुओं का रक्त के सीधे सम्पर्क में आने पर प्रबावित व्यक्तियों की जान जाने का खतरा बना रहता है।

मधुमक्खी के काटने पर प्राथमिक चिकित्सा

अगर कभी मधुमक्खी काट ले तो फौरन चाबी के छेद द्वारा प्रभावित स्थान(जहाँ डंक मारा गया) पर दबाव डालें। यह दबाव इसलिये क्योंकि इससे मधुमक्खी का डंक बाहर निकल आता है। इसके न निकलने पर प्रभावित व्यक्ति को अत्यधिक पीड़ा होती है। डंक मारे गये स्थान पर सूजन हो जाती है।

रक्त बहने पर प्राथमिक चिकित्सा

कभी-कभार किसी नुकीली चीज के चुभने के कारण प्रभावित हिस्से से रक्त बहता है। रक्त का सामान्य बहाव चिंता की बात नहीं होती। परेशानी की बात तब है जब रक्त असामान्य रूप से बहना शुरू कर दे। हाथ या पैरों से रक्तस्राव होने पर उसे स्वच्छ कपड़े से पोंछ कर दबाये रखें। हाथ या पैरों को ऊँचा कर दें। इसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि हाथ व पैरों को ऊँचा करने से खून जाना बंद हो जाता है जिसका सम्बन्ध गुरूत्वाकर्षण के नियम से है।

घाव गहरा होने पर प्रभावित हिस्से को साबुन और साफ जल से धोकर साफ कपड़े को कई बार मोड़कर घाव पर रख दें। इसके बाद कसकर पट्टी बाँध दें। यदि रक्त का बहाव तेज गति से और अत्यधिक मात्रा में हो तो फौरन हाथ के दबाव से उसे रोकने की कोशिश करें। फौरन किसी स्वच्छ कपड़े को मोड़कर घाव पर रखें और उसे स्वच्छ कपड़े से बाँध दें। यदि रक्त का बहाव लगातार हो तो पट्टी को बदल दें लेकिन घाव पर मोड़ कर रखे गये कपड़े को स्थान से न हटाएं। इस कपड़े को हटाने से रक्त का बहाव और तेज हो सकता है।