सिद्धासन के लाभ और विधि

सिद्धासन योग सब आसनों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है और इस आसन को पद्मासन के बाद किया जाता है। इस आसन को हम सिद्दी के लिए करते हैं। इस आसन से अलौकिक सिद्दियाँ प्राप्त की जाती है। यही कारण है कि हम इसे सिद्धासन के नाम से जानते हैं। आपको बता दें आसनों में सिद्धासन को श्रेष्ठ माना जाता है।

सिद्धासन योग करने की विधि
चाहे कोई भी आसन हो उसको सही तरीके के साथ करना चाहिए, क्योंकि जब हम उसे सही तरीके के साथ करेगें तो उसका नतीजा भी सही होगा और यदि हम किसी भी आसन को करने के लिए गलत तरीका अपनाते हैं, तो हमें फायदा तो नहीं होता बल्कि हमारे शरीर को नुकसान का सामना करना पड़ता है। आज हम उस आसन की बात करते हैं जो आसनों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, उस आसन का नाम है सिद्धासन। इस आसन को किस प्रकार से किया जाता है, उसके बारे में बात करते हैं…

1. जब भी हम इस आसन को करते हैं तो सबसे पहले आसन पर बैठ कर अपने पैरों को खोल दें।
2. अब बाएं पैर की एड़ी को गुप्त अंग के मध्य भाग में रखें।
3. अब दाएं पैर को उठायें और गुप्त अंग के मध्य भाग पर स्थिर करें।
4. इस बात पर ध्यान दें कि आप के दोनों पैरों के पंजे, जांघ और पिंडली के मध्य रहें।
5. हथेली ऊपर की ओर रहे। अपने दोनों हाथ एक दूसरे के ऊपर गोद में रखें अर्थात् आप के दोनों हाथों को दोनों घुटनों के ऊपर ज्ञान मुद्रा में रखें।
6. अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें तथा अपनी आखों को बंद कर दें और इसी स्थिति में बनें रहें।
7. श्वासोच्छ्वास आराम से स्वाभाविक रूप से चलने दें।
8. इस आसन का अभ्यास पांच मिनट तक करते रहें।

सिद्धासन योग के लाभ
सिद्धासन को करने से हमें बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं, जो कुछ इस प्रकार से है :-

सिद्धासन योग – सावधानियांं
सिद्धासन महापुरुषों का आसन है, सामान्य व्यक्ति को हठपूर्वक इसका उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से लाभ के बदले आप को हानि होने की सम्भावना अधिक होती है।