सूर्य नमस्कार के मंत्र और सावधानियां

सूर्य नमस्कार के बारे में आपने बहुत ही सुना होगा और शायद इसका अभ्यास भी करते होंगे आप लेकिन इसकी कुछ सावधानियां भी है जिसे अमल में लाए बिना इसका अभ्यास नहीं किया जा सकता। तो आइए इसकी कुछ सावधानियों और मत्रों तथा सीमाओं पर ध्यान दें।   

इसके अभ्यास के लिए सुबह का समय चुनें ताकि खाली पेट कर पाएं और अभ्यास करने के आधे घंटे बाद ही खाएं। आदर्श रूप में सूर्य नमस्कार का अभ्यास अन्य आसनों से पूर्व करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में लचक पैदा होती है तथा नींद और आलस्य दूर होते हैं। योग विशेषज्ञों की माने तो सूर्य नमस्कार के अभ्यास के बाद कुछ मिनटों के लिए शवासन जरूर करना चाहिए। इससे ह्र्दय व श्वास को सामान्य स्थिति में आने का समय मिलेगा। शरीर की समस्त मांसपेशियां शिथिल हो जाएंगी और थकावट भी दूर हो जाएगा।

अगर आम सूर्य नमस्कार का अभ्यास कर रहे हैं तो मंत्रों का अभ्यास जरूर करें। विशेष लाभ मिलेगा।  

Surya namaskar ke mantra :

1. ॐ मित्राय नमः, 2. ॐ रवये नमः, 3. ॐ सूर्याय नमः, 4.ॐ भानवे नमः, 5.ॐ खगाय नमः, 6. ॐ पूष्णे नमः,7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः, 8. ॐ मरीचये नमः, 9. ॐ आदित्याय नमः, 10.ॐ सवित्रे नमः, 11. ॐ अर्काय नमः, 12. ॐ भास्कराय नमः

 

सावधानियां

वैसे तो सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए उम्र का कोई संबंध नहीं है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इसे कर सकते हैं। फिर भी इसकी कुछ सावधानियां भी है।  

 

शरीर में अधिक मादक या विषैले पदार्थ होने से सूर्य नमस्कार के अभ्यास के दौरान यदि बुखार की दशा उत्पन हो तो सूर्य नमस्कार का अभ्यास रोक देना चाहिए। 

 

बिना किसी थकान के अभ्यासी जितने चक्रों का अभ्यास कर सकता है उसे उतना ही करना चाहिए। शरीर पर व्यर्थ जोर न डाले। 

 

ध्यान रखिए महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान और गर्भ के तीसरे महीने के बाद सूर्य नमस्कार का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 

 

उच्च रक्तचाप, हृदय रोगी तथा अन्य रोगी सूर्य नमस्कार का अभ्यास योग्य विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करें।

 

बच्चों को इसका अभ्यास उचित मार्गदर्शन में कराएं ताकि कोई नुकसान न हो।

 

सायटिका, स्लिप डिस्क तथा स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित लोगों को सूर्य नमस्कार न करने की सलाह दी जाती है।