हेपेटाइटिस सी क्या है

बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि लिवर की सूजन होने का मुख्य कारण होता है हेपेटाइटिस सी। हेपेटाइटिस सी वायरस के ज़रिए ही उत्पन्न होती है। इसे कुछ लोग हेप सी या एचसीवी भी कहकर पुकारते हैं।

एक्यूट हेपेटाइटिस सी संक्रमण लगभग छह महीनों से कम समय तक रहता है। यदि आपका रोग तीव्र है और साथ ही आपका प्रतिरक्षक तंत्र सामान्यतया वायरस को शरीर से बाहर निकालने में समर्थ होता है तो आप कुछ महीनों में पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। वहीं, क्रोनिक हेपेटाइटिस सी संक्रमण छह महीने से अधिक तक रहता है। यदि आपका प्रतिरक्षक तंत्र वायरस से मुकाबला नहीं कर पाता, तो हेपेटाइटिस सी संक्रमण जीवन भर के लिए हो सकता है।

कैसे होती है इसकी जांच

रक्त परीक्षण यानी की ब्लड टेस्ट से आप इस बीमारी का पता लगा सकते हैं

लिवर की बायोप्सी भी एक आसान जरिया है इस बीमारी के बारे में जानकारी पाने के लिए
बता दें कि हेपेटाइटिस सी से बचाव के लिए कोई वैक्सीन अभी तक मौजूद नहीं हो पाई है। हालांकि हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी के लिए वैक्सीन उपलब्ध हैं। ऐसे में डॉक्टर अपने मरीजों को आराम करने, अच्छा खाना खाने और बॉयल चीज़ें ही खाने में लेने की सलाह देते हैं।

हेपेटाइटिस सी का खतरा किन्हें है अधिक
कुछ लोगों में हेपेटाइटिस सी का अधिक खतरा होता हैं, वे हैं

जो लोग बिना जांच के ही अपने बॉडी में ब्लड चढ़ा लेते हैं।
वह लोग जिन्होंने खून का थक्का जमने हेतु 1987 के पहले का रक्त उत्पाद उपयोग किया हो।
हीमोडाईलिसिस वाले रोगी या वे रोगी जिन्होंने किडनी फेलियर के कारण डाईलिसिस पर कई साल गुजारे हों।
वह लोग जो कीटाणुमुक्त किए बिना उपयोग में लाए गए उपकरणों से शरीर छिदवाते या टैटू बनवाते हैं।
हेपेटाइटिस सी वायरस से प्रभावित होने की संभावना वाले लोग भी, जैसे कि सुई से चोट लगे हुए स्वास्थ्यकर्मी, या हेपेटाइटिस सी संक्रमित व्यक्ति से दान में प्राप्त रक्त या अंग लेने वाले रोगी।
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी।
और हेपेटाइटिस सी संक्रमित माता से उत्पन्न शिशु।

ध्यान रहें: हेपेटाइटिस सी को खामोश मौत भी कहा जाता है। जब यह आपको अपना शिकार बनाएगा तो आपको इसकी खबर भी नहीं होगी क्योंकि शुरू-शुरू में इसका कोई प्रभाव हमारे शरीर में नहीं दिखाई देता है। जान लें कि यह आपके खून के संक्रमण से ही फैलता है। हाथ पर टैटू गुदवाने, संक्रमित खून चढ़वाने, दूसरे का रेजर उपयोग करने आदि की वजह से हेपेटाइटिस सी होने की संभावना रहती है। यही नहीं, हेपेटाइटिस सी अंतिम चरण में सिरोसिस और लिवर कैंसर के लिए भी जिम्मेवार होता है।