हृदय रोग के लिए 4 योग हैं बहुत गुणकारी

अगर आप नियमित रूप से योग करते हैं तो बड़ी से बड़ी बीमारियों के होने से रोक सकते हैं। अनियमित खान-पान और व्यायाम की कमी की वजह से ह्रदय रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन आप यदि रोजाना योग करते हैं तो ह्रदय रोग पर नियंत्रण पा सकते हैं।

हृदय रोग के लिए योग – Hriday rog ke liye yoga

#1 ह्रदय रोग के लिए तड़ासन योग

तड़ासन न केवल आपके पैरों के दर्द को दूर करेगा बल्कि ह्रदय रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद है। तड़ासन को करने लिए आप अपनी एड़ियों को ऊपर की ओर उठाना होगा। आपको ऐसा लगना चाहिए कि आपको कोई ऊपर की ओर खींच रहा है।

तड़ासन करते समय आपके शरीर का सारा भार आपकी पैरों की अंगुलियों पर होगा। इस अवस्था में आप अपने शरीर को पूरी तरह से खींचिए और धीरे-धीरे एड़ियों को जमीन पर वापस लाइए। आप अपनी आंखों को भी बन करके रख सकते हैं।

तड़ासन करते समय आप धीरे-धीरे चल भी सकते हैं। तड़ासन करने के दौरान उठते समय श्वास अंदर और नीचे की ओर आते समय श्वास को बाहर लीजिए।

#2 ह्रदय रोग के लिए वृक्षासन योग

वृक्षासन एक ऐसा आसन है जिसका नियमित अभ्यास से शारीरिक तनाव को दूर कर सकता है। वृक्षासन ह्रदय रोग के लिए बहुत ही लाभकारी है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले सीधी तरह तनकर खड़े हो जाएं और अपने शरीर का भार बाएं पैर डाल दें फिर अपने दाएं पैर को मोड़ दें।

दाएं पैर के तलवे को घुटनों के ऊपर ले जाएं और अपने बाएँ पैर के साथ लगा दें। अपने दोनों हाथ की हथेलियों को प्रार्थना मुद्रा में लें और फिर उसे अपनी छाती के पास ले जाएँ। अपने दाएं पैर के तलवे को अपने बाएँ पैर के साथ दबाएं। अपने बाएँ पैर के तलवे को जमीन की ओर दबाएं। गहरी सांस लेते हुए अपने हाथों को सिर के ऊपर की खींचिए। अपने सिर को सीधा रखें और सामने की ओर देखें। अब इस मुद्रा में कुछ सेकेण्ड तक बने रहें। दोनों तरह इस मुद्रा को 2 से 5 बार तक दोहराएं।

#3 ह्रदय रोग के लिए भुजंगासन योग

यह आसन ह्र्दय को मजबूत बनाता है तथा दिल और फेफड़ों के मार्ग को साफ करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह दमा या अस्थमा के रोगियों के लिए भुजंगासन बहुत ही फायदेमंद है। पेट के बल लेट जाइये तथा पैरों को सीधा व लम्बा फैला दीजिये। हथेलियों को कन्धों के नीचे जमीन पर रखिये तथा सिर को जमीन से छूने दीजिये। विशेष रूप से पीठ की मांसपेशियों को शिथिल कीजिये। धीरे-धीरे सिर को व कन्धों को जमीन से ऊपर उठाइये तथा सिर को जितना पीछे की ओर ले जा सकें, ले जाइये।

हाथों की सहायता के बिना कन्धों को केवल पीठ के सहारे ऊपर उठाने का प्रयत्न करना चाहिये। धीरे-धीरे पूरी पीठ को ऊपर की ओर तथा पीछे की ओर झुकाते हुए गोलाकार करते जाइये। आप चाहें तो इस दौरान अपनी आंखें बंद कर सकते हैं। इस अवस्था में हाथ सीधे होने चाहिए। इस अवस्था कुछ समय तक रहें फिर अपने आप को रिलेक्स करें। यह आसन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पीठ पर विशेष तनाव या अनावश्यक खिंचाव न पड़ने पड़े।

#4 ह्रदय रोग के लिए वीरभद्र योग

वीरभद्र हमारे शरीर को शक्ति और दृढ़ता प्रदान करने वाला आसन है। यह एक ऐसा आसन है जिससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है इससे हमारे शरीर में शक्ति का संचार होता है।

वीरभद्र करने के लिए आप चटाई बीछाकर सीधे खड़े हो जाइए और सामने की ओर देखिए। फिर दोनों के बीच में 4 फिट का अंतर रखें। फिर दाहिने पैर को दाहिने तरफ और बाएं पैर को बाई तरफ घुमाएं और अपने हाथ को प्रार्थना की मुद्रा में ऊपर कीजिए। अगर आप को संतुलन बनाये रखने में किसी तरह की परेशानी होती है, तो आप अपने पिछले पैर को थोड़ा आगे की और घुमा सकते हैं।