निमोनिया से बचने के लिए योग

निमोनिया एक तरह का संक्रमण होता है जो फेफड़ों में होता है यह ज्यादातर वायरस और बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज के फेफड़ों में सूजन आ जाती है और सांस लेने में दिक्कत आती है। इसमें खांसी भी होना एक आम बात है। यह रोग ज्यादातर बारिश के मौसम ज्यादा होता है। इसलिए आज हम बात करेंगे निमोनिया से बचने के लिए योग के बारे में ।

बच्चों में निमोनिया
निमोनिया यदि तीन माह से छोटे बच्चों में हो तो ज्यादा खतरनाक होता है। छोटे बच्चों को निमोनिया बहुत ही तकलीफ देती है। इस बीमारी में बच्चों को बुखार बहुत ही तेज रहता है और सांस संबंधित परेशानियां भी देखने को मिलती है। इसके अलावा इस बीमारी में दस्त और उल्टी भी होती है। वैसे यह रोग बड़ों को भी परेशान करता है। निमोनिया होने की स्थिति में एक बार डॉक्टर से जांच जरूर करवाना चाहिए।

निमोनिया से बचने के लिए योग

आइए जानते हैं निमोनिया में कौन से योग करना चाहिए ?

निमोनिया को रोकने में मदद करने के लिए गहरी साँस लेने वाले आसन करना चाहिए। इसमें बेली ब्रीथिंग, नेचुरल ब्रीथिंग जैसे आनस किया जा सकता है। इससे न केवल छाती और पेट को आराम मिलेगा बल्कि आपके फेफड़े की क्षमता भी बढ़गी।

निमोनिया में कीजिए भुजंगासन योग

जो बच्चे निमोनिया से पीड़ित हैं, उन्हें भुजंगासन योग का अभ्यास करना चाहिए। पेट के बल लेट जाइये तथा पैरों को सीधा व लम्बा फैला दीजिये। हथेलियों को कन्धों के नीचे जमीन पर रखिये तथा सिर को जमीन से छूने दीजिये। विशेष रूप से पीठ की मांसपेशियों को शिथिल कीजिये। धीरे-धीरे सिर को व कन्धों को जमीन से ऊपर उठाइये तथा सिर को जितना पीछे की ओर ले जा सकें, ले जाइये। हाथों की सहायता के बिना कन्धों को केवल पीठ के सहारे ऊपर उठाने का प्रयत्न करना चाहिये। धीरे-धीरे पूरी पीठ को ऊपर की ओर तथा पीछे की ओर झुकाते हुए गोलाकार करते जाइये। इस अवस्था में हाथ सीधे होने चाहिए। यह आसन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पीठ पर विशेष तनाव या अनावश्यक खिंचाव न पड़े।

ध्यान दीजिए इस आसन को करते समय जमीन से शरीर को ऊपर उठाते वक्त श्वास अंदर लीजिये। अंतिम स्थिति में श्वास अन्दर रोक कर रखना पड़ता है। इसे कम से कम 5-6 बार दोहराइये।

यह आसन दिल और फेफड़ों के मार्ग को साफ करने में भी मदद करता है। इसके अलावा इसके निरंतर अभ्यास से शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का संचार होता है। यह आसन दमा और निमोनिया के रोगियों के लिए फायदेमंद रहता है।