त्राटक आसन को करने की विधि और लाभ

त्राटक शब्द त्रा से पैदा हुआ है जिसका अर्थ है मुक्त करना। त्राटक आसन क्रिया को करने से आँखे साफ़ होती है और आँखों की रोशनी बढ़ती है। इस क्रिया को करने के लिए आप अपने नेत्रों को सामान्य रूप से किसी निश्चित वस्तु पर केन्द्रित कर लें। आप दीपक या जलती हुई मोमबत्ती पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हों।

आप उस वस्तु को तब देखते रहो जब तक आप की आँख से पानी न निकलने लगे या आप की आखों में दर्द न हो। जब आप की आँखों से पानी निकलने लगे या दर्द होने लगे। तब आपनी आँखों को बंद कर लें और सामान्य स्तिथि में आ जाएं। यह आपको आँखों के लिए सर्वोत्तम योगासन होता है।

त्राटक आसन को करने की विधि

इस आसन को किस प्रकार से किया जाता है आइये जानते हैं 

  1. इसको करने के लिए सबसे पहले आप सिर, गर्दन, और पीठ को सीधा रखते हुए किसी अँधेरे वाले कमरे में ध्यान वाली मुद्रा में बैठ जाएं और अपनी आँखों को बंद कर लें।
  2. जिस वस्तु पर आप ध्यान केंद्रित करना चाहते हो, उसे नेत्रों के समांतर ऊँचाई पर रख दें। इसके लिए आप मिट्टी के दीपक में घी से जली ज्योति को प्रकाश के रूप में प्रयोग कर सकते हो।
  3. जलता हुआ दीपक या मोमबत्ती आप से ढाई फुट की दुरी पर आँखों के समांतर होनी चाहिए।
  4. अब अपनी बंद आँखों को खोले और जलते हुए दीपक पर अपना ध्यान केंद्रित तब तक करें जब तक आप की आँखे थक न जाएं या आँख से आसू बहना शुरू न हो जाएं।
  5. इसके बाद अपनी आँखों को आराम से बंद कर लें और आँखों को विश्राम दें ।
  6. इस क्रिया को 3 से 4 बार दोहराएं जब तक आपको बिना पलक झपकाएं 10 मिनट के लिए दृष्टि जमाने का अभ्यास नहीं हो जाता।
  7. इस बात को ध्यान में रखें जब तक ज्योति देखते हैं तब तक पलक नहीं झपकनी चाहिए।

त्राटक आसन के लाभ

त्राटक आसन करने से हमें जो लाभ प्राप्त होते हैं वो कुछ इस प्रकार से है।

  1. त्राटक आसन करने से नेत्र के सभी प्रकार के विकार, थकान और सुस्ती दूर होती है।
  2. इस आसन को करने आँखे साफ़ और चमकदार बनती है
  3. यह नेत्र विकारों की चिकित्सा में यह बहुत उपयोगी होता है।
  4. इसको करने से आँखों की सुस्ती दूर होती है।
  5. यह आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करती है एंव मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।
  6. यह आंतरिक ज्योति को प्रज्वलित करती है।
  7. इसको करने से स्मृति बढ़ती है।

त्राटक की सावधानियां

  1. इस योग का अभ्यास किसी योग्य योग शिक्षक के निर्देशक में करना चाहिए।
  2. इस क्रिया के लिए अंधेरे एवं शांत कमरे का चुनाव करना चाहिए ।
  3. जिन लोगों को आँख की समस्या हो उन्हें इसे नहीं करना चाहिए ।
  4. आप जिस ज्योति का इस्तेमाल कर रहे हो, वो स्थिर होनी चाहिए। उसमें बिल्कुल भी फड़फड़ाहट नहीं होनी चाहिए।