किडनी के कार्य, रोग के लक्षण और उपाय

बदलती खान-पान की आदतों और दौड़-भाग की जिंदगी, प्रदूषित पानी और प्रदूषण की वजह से किडनी की बीमारियां बढ़ रही हैं। नियमित दिनचर्या और संतुलित खानपान को अपनाकर इन रोगों से बचा जा सकता है। लेकिन देश में बढ़ते फास्ट फूड के चलन की वजह से ये बीमारियों को रोकना कठिन हो रहा है। किडनी के कार्य, रोग के लक्षण और उपाय :

किडनी की संरचना – वृक्क या गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, गुर्दे सेमी लंबा, 6 सेमी चौड़ा और 3 सेमी मोटा सेम के आकार का होता है। गुर्दा शरीर में उदर गुहा में रेट्रोपेरिटोनियम नामक रिक्त स्थान में स्थित होते हैं। इनमें से एक-एक गुर्दा मेरुदण्ड के दोनों तरफ एक स्थित होता है। दायां गुर्दा मध्यपट के ठीक नीचे और यकृत के पीछे स्थित होता है, तथा बायां मध्यपट के नीचे और प्लीहा के पीछे होता है।

जिन लोगों को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, एथरोस्क्लेरोटिक हार्ट रोग, पेरिफरल वस्कुलर रोग है या परिवार में कभी किसी का किडनी फेल हो तो उनमें गुर्दा खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।

किडनी रोग के लक्षण – किडनी की समस्या होने पर मूत्र का त्याग करने के समय दर्द होना और मूत्र में रक्त का आना। शरीर में थकान और कमजोरी आना। चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी आना। ठंड महसूस होना। त्वचा में रैशेज़ और खुजली। मुँह से बदबू निकलना और स्वाद भी खराब हो जाना। भूख कम लगना। साँस लेने में असुविधा। पीठ में दर्द होने की शिकायत होना।

किडनी सावधानी –

अगर शऱीर में एक ही किडनी हो तो ऐसी स्थिति में पानी ज्यादा मात्रा में पानी पिएं। किडनी में चोट लगने की संभावना वाले खेलों में भाग नहीं लेना चाहिए। साल में एक बार डाक्टर के पास जांच करवानी चाहिए और किसी भी प्रकार का ऑपरेशन करवाने से पहले शरीर में एक ही किडनी है। इसकी जानकारी डाक्टर को देनी चाहिए।

किडनी का कार्य –

किडनी शरीर में खून का शुद्धीकरण, पानी, अन्न और क्षार का संतुलन, रक्तचाप, रक्त कणों और कैल्शियम पर नियंत्रण का काम करती है। किडनी खून में मौजूद विकारों को छानकर साफ करती हैं और खून में उपस्थित अनावश्यक कचरे को मूत्रमार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकालकर शऱीर को अशुद्धियों से मुक्त करती है। हानिकारक पदार्थ जैसे यूरिया, क्रिएटिनिन और अनेक प्रकार के अम्ल इस माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। यह शरीर में नई लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने वाले हार्मोन को भी नियंत्रित करती है।

किडनी प्रत्यारोपण के खतरे –

किडनी प्रत्यारोपण के बाद थोड़ा बहुत इंफेक्शन होना सामान्य है।  क्रोनिक किडनी की बीमारी किसी भी इलाज से पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती है।  किडनी के प्रत्यारोपण के बाद कुछ दीर्घकालिक समस्याएं भी देखने को मिलती हैं।  कुछ मामलों में प्रत्यारोपित किडनी में ब्लड क्लॉट की समस्या हो जाती है। किडनी प्रत्यारोपण के बाद जुखाम, सर्दी जैसे थोड़ा बहुत इंफेक्शन होना सामान्य है।

उपाय – 

किडनी की समस्या अधिक बढ़ने पर उसका इलाज डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण है। हालांकि एक किडनी के सहारे भी जिंदा रहा जा सकता है। लेकिन दोनों किडनियों में समस्या होने पर प्रत्यारोपण कराना ही होता है। इसके साथ ही किडनी का इलाज भी काफी महंगा होता है। इसके साथ ही कुछ सीमित अस्पतालों में ही किडनी प्रत्यारोपण का इलाज संभव है। इसी वजह से किडनी प्रत्यारोपण के लिए कई सालों का इंतजार करना पड़ता है। लेकिन कई प्राइवेट अस्पतालों मे इलाज तुरंत संभव है। लेकिन वहां का इलाज काफी महंगा है।

खर्चीला

यह एक खर्चीला रोग है जिसे एक आम आदमी वहन नहीं कर सकता। इसलिए सावधानी बरतें। यह कितना खर्चीला है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर किसी ब्रेन डेड शख्स की किडनी ली जाती है तो सरकारी अस्पताल में इसका खर्च तकरीबन दो लाख रुपये तक आ जाता है। वहीं अगर इसका इलाज निजी अस्पताल में कराएं तो आठ लाख खर्चा आएगा।