ब्लड कैंसर के लक्षण और इलाज

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिस किसी को भी यह अपने कैद में ले लें तो वह इंसान खुद को मरा हुआ ही समझता है। इन दिनों ब्लड कैंसर (रक्त कैंसर) के मरीजों की संख्या काफी तेज़ी से बढ़ती जा रही है। यूं तो कैंसर कई प्रकार के होते है, जैसे कि पेट का कैंसर, गले का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर आदि। ब्लड कैंसर भी एक प्रकार का कैंसर है जो की खून में होता है। इसमें कैंसर की कोशिकाएं धीरे-धीरे खून में फैलने लग जाती है। बता दें कि यह कोशिकाएं समाप्त नहीं होती है, बल्कि दिन-प्रतिदिन और गंभीर रूप लेने लगती है।
ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा यह ब्लड कैंसर के तीन प्रकार हैं। जिन लोगों को ब्लड कैंसर जैसी बीमारी अपने कैद में ले लेती है उन मरीजों को बहुत थकान महसूस होती है। थोड़ा सा भी काम करने पर उनकी सांसे फूलने लगती है। यही नहीं, ल्यूकेमिक सेल्स (कैंसर कोशिकाएं) अगर आपके पुरे शरीर में फैल जाए तो यह शरीर के हर अंगो को धीरे-धीरे खराब कर देती है|
बल्ड कैंसर किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन इसके होने का सबसे ज्यादा खतरा 30 साल की उम्र के बाद होता है। ब्लड कैंसर के लक्षणों को वक्त पर पहचान लिया जाए तो इसका इलाज संभव है। आइए बताते हैं क्या है ब्लड कैंसर के लक्षण:

1. रात में सोने के समय में ज्यादा पसीना आना
2. हड्डियों व जोड़ों में हमेशा दर्द रहना
3. वजन का अचानक कम हो जाना
4. बार-बार संक्रमण की शिकायत होना
5. आंतो व ग्रंथियों के आकार का बढ़ना
6. लगातार चक्कर आना, मितली आना और सामान्य रक्त स्राव
7. तेज़ बुखार के साथ ठंड लगना

भारत अब काफी एडवांस हो गया है, बल्ड कैंसर से जूझ रहे मरीज के पास इलाज के कई ऑप्शन मौजूद हैं, जैसे कि कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, बॉयोलॉजिकल थेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट थेरेपी। बता दें आपको कि अगर ट्यूमर बड़ा है तो डॉक्टर इसकी सर्जरी करने की सलाह देते हैं।
आइए बताते हैं क्या है ब्लड कैंसर का इलाज –

अच्छी देख-रेख
ब्लड कैंसर से जंग लड़ रहे मरीजों को अच्छी देखरेक की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। रोगी की हर तीन महीने पर नियमित रूप से जांच करवाएं। कैंसर का इलाज शुरू करने में देरी बिल्कुल भी ना करें। बता दें कि मरीज की सावधानी से देखरेख करने का तरीका अपनाने से कैंसर के इलाज के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं।

किमोथेरेपी
कई लोग किमोथेरेपी के जरिए ल्यूकीमिया का इलाज भी करवाते हैं। इस थेरेपी में दवाओं के जरिए कैंसर सेल्स को खत्म करने का काम किया जाता है। यह दवा गोली के रुप में या फिर इंजेक्शन के जरिए मरीज को दी जाती है। मरीज के शरीर में फैले ल्यूकीमिया पर निर्भर करता है कि उसे एक दवा देनी है या उसके साथ कुछ और दवा देनी है।

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बॉयोलॉजिकल थेरेपी
ल्यूकीमिया में कुछ लोग दवा लेते हैं जिसे बॉयोलॉजिकल थेरेपी भी कहते हैं। इस थेरेपी के जरिए शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा बढ़ती है। इसमें त्वचा के अंदर मांस में दवा को सीरींज के जरिए डाला जाता है। यह आपके खून (रक्त) में फैले ल्यूकीमिया सेल्स की गति को धीमा कर देता है और रोगी के कमजोर इम्मयून सिस्टम को शक्ति देता है। इस इलाज के साथ अन्य कोई दवा देने पर इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।

रेडिएशन थेरेपी
एक्स रे की ही तरह होती है रेडिएशन थेरेपी। इसमें किसी प्रकार का कोई दर्द आपको महसूस नहीं होगा। इसमें एक बड़ी मशीन के जरिए निकलने वाली ऊर्जावान किरणें रोगी के शरीर में जाकर कैंसर के सेल्स को खत्म कर देता है। बता दें कि इस थेरेपी को करते समय शरीर के स्वस्थ्य सेल भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं लेकिन व सेल्स समय के साथ ठीक हो जाते हैं।

स्टेम सेल ट्रांसप्लांट
ल्यूकीमिया का इलाज स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए भी किया जाता है। इस ट्रांसप्लांट में आपको दवाईयों की हाई डोज व रेडिएशन थेरेपी दी जाती है। दवाओं के हाई डोज से अस्थि मज्जा (बोन मेरो) में ल्यूकीमिया कैंसर सेल व स्वस्थ सेल दोनों प्रभावित हो जाते हैं। यही नहीं, हाई डोज किमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी के बाद लंबी नस के माध्यम से आपको स्वस्थ कोशिकाएं मिलती हैं। ट्रांसप्लांटेड स्टेम सेल से नए खून की कोशिकाएं बनती हैं।

एवोकैडो और ब्लड कैंसर
कनाडा के हाल के रिसर्च से पता चला है कि एवोकैडो फल ल्यूकेमिया बीमारी जो एक प्रकार का ब्लड कैंसर है, के उपचार में बहुत ही प्रभावशाली भूमिका निभाता है। वैसे फाइबर और पोटेशियम का सबसे अच्छा स्रोत एवोकैडो ह्र्दय संबंधित बीमारियों और डायबिटीज को दूर करने के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होती है। एंटी-ऑक्सीडेंट और कई तरह के पौष्टिक तत्वों से भरपूर एवोकैडो स्किन को हेल्दी और स्मूथ बनाता है।