बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षण और बचाव

डेंगू बुखार की महामारी से हर कोई चिंतित रहता हैं। यह हर किसी के मन में डर और बेचैनी का माहौल पैदा करता है। इससे बच्चे भी बहुत प्रभावित होते हैं। इसलिए आप यह सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे डेंगू से सुरक्षित हैं या नहीं।

क्या है डेंगू बुखार

डेंगू बुखार को चिकित्सा की दुनिया में ब्रेकबोन फीवर भी कहा जाता है। यह एक हड्डी तोड़ बुखार है। बुखार तब होता है जब संक्रमित मच्छर आपके बच्चे को काटता है जिसके बाद चकत्ते भी पड़ने लगते हैं।

डेंगू एक प्रकार का उष्णकटिबंधीय रोग है, जो डेंगू वायरस के कारण होता है। कुछ मामलों में, डेंगू बुखार भी गंभीर हो सकता है और अधिक जटिल स्वास्थ्य चिंताओं का कारण बन सकता है, जो कि घातक भी हो सकता है।

डेंगू के बुखार से पीड़ित व्यक्तियों में से एक सबसे बड़ा जोखिम डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (डैंगू हेमोहैर्जिक फीवर) है। इसमें रोगी की मृत्यु हो सकती है। जिसे तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता है।  – डेंगू में क्या खाना चाहिए – घरेलू उपचार

डेंगू बुखार के प्रकार

डेंगू बुखार तीन प्रकार के होते हैं और उसके लक्षण उसी हिसाब से होते हैं। साधारण डेंगू बुख़ार (क्लासिक), डीएचएफ (डेंगू हेमरेजिक फीवर), डीएसएस (डेंगू शॉक सिंड्रोम)।

इन तीनों प्रकार के डेंगू बुखार में फर्क सिर्फ इतना है, कि जो साधारण डेंगू बुख़ार यानि कि क्लासिक डेंगू बुख़ार है, वह सामान्य स्थिति होती है, जिसमें किसी मरीज की जान नहीं जाती है। लेकिन अगर डेंगू हेमरेजिक या डेंगू शॉक सिंड्रोम अगर हो जाए और उसका इलाज तुरंत शुरू ना किया गया तो जान जाने का भी खतरा है।

बच्चों में साधारण डेंगू बुखार के लक्षण

कई मामलों में बच्चों में लक्षण नहीं दिखाई देते, जो डेंगू बुखार की ओर इंगित करते हैं। कुछ बच्चे हल्के लक्षण दिखा सकते हैं जो आम तौर पर डेंगू से संक्रमित मच्छरों से काटने के बाद आमतौर पर चार दिन से लेकर दो सप्ताह के भीतर दिखाई देते हैं। यदि आपका बच्चा साधारण डेंगू बुखार से पीड़ित है, तो आपको निम्न लक्षण दिखाई देंगे।

डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएफ)

डेंगू के बुखार की गंभीर स्थिति को डेंगू हेमरेजिक फीवर कहा जाता है। इसमें बुखार 41 डिग्री सेल्सियस या 105.8 डिग्री फ़ारेनहाइट तक पहुंच सकती है। इसके लक्षणों की बात करें, तो असामान्य खून बहना, खून का जमना, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव और लिवर को नुकसान आदि।

डेंगू हेमरेजिक फीवर दक्षिण पूर्वी अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में एक महामारी है। उचित उपचार की अनुपस्थिति में, डेंगू बुखार की यह स्थिति बच्चों में घातक साबित हो सकती है। –  मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू बुखार में क्या है अंतर ?

डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस)

डेंगू शॉक सिंड्रोम अपेक्षाकृत एक दुर्लभ बीमारी है लेकिन नियमित डेंगू बुखार की तुलना में बहुत ही घातक है। इसके लक्षणों में शामिल हैं: –

बच्चों में कैसे डेंगू बुखार को रोका जाए

1. खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें। यदि मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।

2. बच्चों को हमेंशा लंबी बाजू वाले शर्ट, लंबी पैंट, जूते, और मोजे पहनाकर रखें। सोते समय उनके बिस्तर पर मच्छरदानी लगाएं।

3. घर या स्कूल के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें। अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें।

4. सुबह और शाम डेंगू के मच्छर बहुत अधिक सक्रिय होते हैं। ऐसे समय में बच्चों का बाहर जाना सीमित करें।

5. मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छर मारने वाले क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें।

6. घर के कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर इस्तेमाल करें।