हेयर ट्रांसप्लांट क्या है और इसका खर्च

लहराती जुल्फें किसको अच्छी नहीं लगती हैं। लेकिन आधुनिक जीवन शैली और डाइट की वजह से कई बार लोग अपने युवावस्था में ही लहराती जुल्फों को खो बैठते हैं। जी हां मौजूदा दौर में गंजापन की शिकायत बढ़ती उम्र के साथ ही कई युवाओं में देखने को मिलती है। गंजेपन की यह समस्या न सिर्फ पुरुषों में बल्कि महिलाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। शुरुआत में गंजेपन की समस्या बालों के पतले होने और फिर छोटेछोटे धब्बों में गंजेपन के रूप में दिखाई देने लगती है। हालांकि अब गंजेपन का इलाज संभव है। आपने हिमेश को अब लहराती जुल्फों में फिल्में करते देखा होगा लेकिन हमेशा से हिमेश ऐसे नहीं थे। हिमेश ने भी हेयर ट्रांसप्लांट का सहारा लिया है। मौजूदा समय में हेयर ट्रांसप्लांट का खर्च भी बहुत ज्यादा नहीं होता है। आमतौर पर हेयर ट्रांसप्लांट का खर्च 10,000 रुपए से ले कर 30,000 रुपए के बीच आता है। हेयर ट्रांसप्लांट के लिए बहुत सी तकनीकें है। लेकिन आधुनिक समय में नॉन सर्जिकल हेयर ट्रासंप्लांट ज्यादा प्रचलित है। जैसा कि नाम से मालूम होता है कि इसमें बिना सर्जरी के ही बालों को ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है।

हेयर ट्रांसप्लांट का इतिहांस

हेयर ट्रांसप्लांट की शुरुआत 1930 के आसपास जापान में भी हुई। जहाँ क्षतिग्रस्त भौंहों को बदलने के लिए बालों को ट्रांसप्लांट किया गया था। हालांकि हेयर ट्रासप्लांट को सबसे ज्यादा प्रचलन 1950 के दशक में शुरू हुआ जब डॉ. एन. ओरेंट्रीच ने मुक्त डोनर ग्राफ्टों को गंजेपन वाले क्षेत्रों में ट्रांसप्लांट किया।

हेयर ट्रांसप्लांट की विधियां :

हेयर ट्रांसप्लांट की प्रमुख रुप से दो विधियां है

एएफटी और नॉन सर्जिकल हेयर ट्रांसप्लांट ।

एफयूटी हेयर ट्रांसप्लांट तकनीक 

इस तकनीक का नाम फॉलीकुलर यूनिट ट्रांसप्लांट (एफयूटी) है। इस तकनीक में सिर के पिछले हिस्से से 1 सेमी चौड़ी त्वचा की एक पट्टी निकाली जाती है। जिसको गंजेपन वाले स्थान पर लगाया जाता है। एफ़यूई की नवीनतम तकनीक में 1 से 4 बालों वाले 1 मिमी या उससे छोटे आकार की एक ड्रिल का प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक का फायदा यह है कि जहां से बाल निकाला जाता है, वहां धब्बा नहीं दिखता है।

नॉन सर्जिकल हेयर ट्रांसप्लांट 

इस तकनीक में सिर की त्वचा के लिए एक पतली, हल्की और पारदर्शी झिल्ली तैयार की जाती है, जिसे व्यक्ति के बालों के साथ मिलाया जाता है और फिर इसे सिर की त्वचा के साथ जोड़ कर असली बालों के साथ बुना जाता है ताकि एक नैचुरल प्रभाव बन सके। ऐसा करने से झिल्ली बालों के रंग, घनत्व व स्टाइल के साथ इस तरह मिक्स हो जाती है कि पता ही नहीं लगता कि किसी तरह की झिल्ली का प्रयोग किया गया है। इस तकनीक में बाल उलझने का डर नहीं रहता। बाल उलझे नहीं, इस के लिए इस में बालों के क्यूटिकल्स को निकाल दिया जाता है। इस ट्रीटमेंट से बालों में कंघी करना, शैंपू व उन्हें कोई स्टाइल देना आसान होता है।

हेयर ट्रांसप्लांट साइड इफेक्टल

हालांकि हेयर ट्रांसप्लांट  के अपने साइड इफेक्ट्स  भी हैं। इसके साइड इफेक्टल अलग-अलग लोगों में अलग प्रकार के होते हैं। जैसे इससे बाल पतले होते हैं, रक्त स्राव होता है, खुजलाहट होती है तथा संक्रमण और सकल्प में सूजन की समस्या उत्पन हो जाती है।

कुछ जरूरी बाते
यदि आप हेयर ट्रांसप्लांट के बारे में सोच रहे हैं तो यह बहुत ही जरूरी है कि इसके बारे में संपूर्ण जानकारी लेने के बाद सही डॉक्टर और सही अस्पताल का चुनाव करें। ऐसे बहुत से अस्पताल और डॉक्टर हैं जो हेयर ट्रांसप्लांट से संबंधित ढेर सारे वादे करते हैं लेकिन जब मरीज उनके क्लिनिक में भर्ती होता है तो उसे बहुत ही नुकासन उठाना पड़ता है। इसलिए जल्दबाजी में कोई फैसला ना लें। एक बात और, हेयर ट्रांसप्लांट कराना बहुत ही महंगा होता है, इसलिए यह भी ध्यान दीजिए कि इसका इलाज कराना आपके बजट में तो है।

हेयर ट्रांसप्लांट कौन करता है?

बालों के विशेषज्ञ की माने तो जिस तरह हार्ट सर्जन ही बायपास सर्जरी कर सकता है, उसी तरह हेयर ट्रांसप्लांट भी केवल प्लास्टिक सर्जन या डर्मेटोलॉजिस्ट ही कर सकता है। इसके लिए एक टीम भी होती है जिसे प्लास्टिक सर्जन ही नेतृत्व करता है। इसमें डॉक्टर और उसकी टीम को ट्रेनिंग मिली हुई होती है।

इसलिए जब भी आप हेयर ट्रांसप्लांट के बारे में सोचें तो इस बात पर जरूर विचार करें कि हेयर ट्रांसप्लांट का काम किसका है ताकि आप नुकसान से बच सकें। एक्सपर्ट के अलावा कोई भी यह काम नहीं कर सकता। इसके लिए हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन होना बहुत ही जरूरी है।