कान बहने की समस्या को हल्के में न लें

अक्सर देखा जाता है कि लोग कान बहने की समस्या को आम समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। जिसका परिणाम ये होता है कि समय बीतने के साथ व्यक्ति की सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। छोटे बच्चों मे ये बीमारी ज्यादा देख जाती है। कई बार कान ये निकलने वाला ये तरल पदार्थ बहुत बदबू करता है। जिससे लोगों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। कई बार कान बहने के दौरान खून भी आ जाता है। इसलिए कान की समस्या की ज्यादा समय तक अनदेखी नहीं करनी चाहिए। ज्यादा समय तक समस्या को नजरअंदाज करने पर कई अन्य प्रकार की बीमारियां के होने का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक कान बहने से कान की हड्डी सड़ जाती है। लापरवाही करने से ब्रेन एब्सेस भी हो सकता है। यह जानलेवा भी हो सकती है। इसके साथ ही कान का पर्दा फटने पर इन्फेक्शन हो जाता है। धीरे-धीरे हड्डियां सड़ने लगती हैं। इससे कोलेस्टेटोमा बीमारी हो जाती है। चेहरे में टेढ़ापन आने लगता है।

 

लक्षण- 

छोटे बच्चों में कान बहने की समस्या अक्सर देखी जाती थी। छोटी माता या खसरा का बुखार जैसे रोग के बाद इस समस्या के होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ ही कान की अच्छे से सफई न होने की अवस्था में भी इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है। चेचक रोग के बाद कान के चारों ओर की गांठें सूज गई हो, दर्द हो रहा हो तब भी कान बहने की समस्या हो सकती है।

 

क्या न करें-

बच्चों के कान को साफ करने के लिए कभी भी नुकीली चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कई लोग कान को साफ करने के लिए माचिस की तीली का प्रयोग भी करते हैं, जो कि हानिकारक हो सकता है। कई बार देखा गया है कि माचिस की तीली से कान साफ करते समय तीली कान के अंदर ही टूट जाती है, जिससे कि व्यक्ति को बहरेपन की समस्या हो सकती है। कान को साफ करने के लिए हाइड्रोजन और वनस्पति तेल का प्रयोग बिल्कुल भी न करें। ऐसा करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले ले। कान के दर्द की अनदेखी न करें। समय पर डॉक्टर की सलाह लें।

 

उपचार-

बच्चों के कान को अच्छे तरह से साफ करना चाहिए। नींबू के रस में सरसों या तिल का तेल मिलाकर अच्छी तरह से उबाल लें. पकने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। उसमें से दो बूंद कान में डालते रहने से कान का बहना खुजली दर्द ठीक हो जाता है। सुबह उठने के बाद पानी में नींबू को निचोड़कर पीने से कान का बहना कम हो जाता है। इसके साथ ही साफ पानी में दोगुना दूध मिलाकर रोगी के कान को उस पानी से धोकर ब्लाटिंग कागज से कान को सूखा देना चाहिए, इसके बाद रूई के द्वारा दो-एक बून्द कार्बोलिक एसिड का प्रयोग करना चाहिए। पांच ग्रेन बोरासिक एसिड अच्छी तरह पीसकर, रात में सोने के पहले कान में डाल देना चाहिए और सुबह के समय में हल्के गर्म पानी से कान को धो डालना चाहिए। इसके साथ ही अगर कान बहने की समस्या पुरानी है तो लापरवाही न बरते तुरंत डाक्टर की सलाह लें।