डिप्रेशन क्या है और इंसान इसमें कैसे जाता है

काय पो छे, एम. एस. धोनी, केदारनाथ, छिछोरे जैसी शानदार फिल्में देने वाले सुशांत सिंह राजपूत ने अचानक आत्महत्या कर ली, तो किसी को विश्वास नहीं कि एक सफल एक्टर इस तरह का कदम कैसे उठा सकता है। उनकी आत्महत्या की खबर से पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री सन्न हो गई है। किसी ने कभी यह सोचा नहीं था कि इतनी कम उम्र में जिंदादिल सुशांत कभी पंखे से लटककर सुसाइड भी कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि सुशांत सिंह राजपूत पिछले कई महीनों से डिप्रेशन का इलाज करवा रहे थे।

पुलिस को उनके घर से कई ऐसे कागजात और दवाईयां मिली हैं, जिनसे यह पता चलता है कि उनका डिप्रेशन का इलाज चल रहा था। ऐसा नहीं है सुशांत सिंह राजपूत पहले युवा कलाकार हैं जिन्होंने अवसाद में रहते हुए अपने लिए आत्महत्या का रास्ता चुना है।

अब सवाल यह उठता है कि डिप्रेशन क्या है और इंसान इसमें कैसे जाता है।

इसको आसान भाषा में समझें तो डिप्रेशन से ग्रसित इंसान के दिमाग में कुछ ऐसा चलता है जिसे वह संभाल नहीं पाता। ऐसा नहीं है कि जो व्यक्ति अकेले रहता है उसे ही डिप्रेशन होगा। परिवार के साथ रहने वाला व्यक्ति भी डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। वजहें कई हैं, जैसे आर्थिक तंगी, जॉब का छूट जाना, रिश्तों में टकराव, बीमारी का भय, ख्याति से दूर होना आदि।

कई बार इंसान का वस्तुओं, करीबियों और अपनी ख्याति को लेकर इतना लगाव हो जाता है कि वो इनकों लेकर संवेदनशील हो जाते हैं। वो इनके बारे में बहुत ज्यादा सोचने लगते हैं। जब तक ये चीज उनके पास है, तब तक तो वो खुश होते है, लेकिन जैसे ही इनमें उतार-चढ़ाव आता है तो वो घबरा जाते हैं। फिर वो नकारात्मक बातें सोचने लगते है। जब आपके दिमाग में नकारात्मक बातें लगातार चलती रहती है तो वो डिप्रेशन का रूप ले लेती है। फिर आपके लिए जिंदगी अहम नहीं रह जाती है। इसलिए अगर डिप्रेशन से दूर रहना है तो आप सोचने के तरीकों को बदलें।