अनुलोम विलोम करने की विधि और लाभ

अक्सर देखा गया है कि लोग योग तो करते हैं लेकिन उसके लाभ से परिचित नहीं हैं। आप योग किस रोग को दूर करने के लिए कर रहे हैं इस बात की जानकारी आपको होनी चाहिए। ऐसा ही एक आसन है अनुलोम-विलोम जो मन को शांत करने और तनाव तथा गुस्से को दूर करने में लाभकारी है।

योग विशेषज्ञ के अनुसार अनुलोम विलोम के लाभ इतने है कि आप यदि इसे नियमित रूप से करते हैं तो मानसिक रोग से छुटकारा मिल सकता है। आज दुनिया में लोगों के अंदर सहनशक्ति या सहिष्णुता कम होती जा रही है। छोटी-छोटी बात पर नाराज होना या फिर किसी को लहूलुहान कर देना इंसानी व्यवहार बनता जा रहा है, ऐसे में योग और प्राणायाम को जीवन में शामिल करना चाहिए। अनुलोम विलोम उन्हीं बेहतर योगाभ्यास में से एक है।

क्या है अनुलोम-विलोम ?

अनुलोम का अभिप्राय होता है सीधा और विलोम का मतलब है उल्टा। यहां पर सीधा का अर्थ है नासिका या नाक का दाहिना छिद्र और उल्टा का अर्थ है-नाक का बायां छिद्र। अर्थात अनुलोम-विलोम प्राणायाम में नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हैं, तो बायीं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है।

अनुलोम-विलोम करने की विधि

1. इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सिद्धासन या सुखासन की स्थिति में बैठ जाएं।

2. दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस को भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। इसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और दायीं नासिका से सांस को बाहर निकालें। ऐसा माना जाता है कि शुरुआत और अंत हमेशा बाएं नथुने से करनी चाहिए।

4. शुरुआत में आप इस आसन को 3 मिनट कर सकते हैं। धीरे-धीरे अभ्यास करने के बाद 5 से 10 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है।

अनुलोम विलोम के लाभ

1. विचलित मन को शांत करता है और एकाग्रता को बढ़ाने का काम करता है।

2. इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से न केवल फेफड़े स्वस्थ रहते हैं बल्कि कफ, पित्त आदि रोगों में भी बचाव करता है।

3. तनाव को दूर करने और गुस्से पर नियंत्रण रखने के लिए यह आसन बहुत ही लाभकारी है।

4. नस-नाड़ियों को शुद्ध करने के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायम बहुत ही उपयोगी आसन है।

5. उच्च रक्तचाप या निम्न रक्तचाप होने की स्थिति में अनुलोम-विलोम प्राणायम बहुत ही फायदेमंद रहता है।

6. विद्यार्थियों के लिए यह आसन बहुत ही गुणकारी है। इससे न केवल एकाग्रता बढ़ती है बल्कि रचात्मकता और धैर्य को बढ़ाने में यह मददगार साबित होता है।