नौकासन योग की विधि, लाभ और सावधानियां

नौकासन अर्थात नाव वाला योग आसन । नौकासन योग आसन को एक नाव की आकृति में किया जाता है इसलिए हम इसे नौकासन कहते हैं। जब हम इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करते हैं तब हमारे पेट और कमर पर चर्बी जमा नहीं होती। क्योंकि जब हम इस का अभ्यास करते हैं तबी हमारी कमर, हिप्स, पैर और पेट मूल रूप से इसमें शामिल होते हैं। इस मुद्रा को करते समय इन सभी अंगों का व्यायाम तो होता ही है, साथ ही शरीर के अंगों में दृढ़ता और संतुलन बना रहता है।

नौकासन योग करने की विधि

नौकासन योग को सही तरीके के साथ किस प्रकार से किया जाता है। आज हम आप को बताते हैं…

  1. इसको करने के लिए सबसे पहले साफ वातावरण में दरी या चटाई को बिछा लें।
  2. नौकासन करने पहले शवासन में लेट जाएं।
  3. अपनी एड़ी और पंजे को आपस में मिला लें और अपने हाथों को कमर से सटा का रखें।
  4. अब अपनी हथेलियों को जमीन पर ओर अपनी गर्दन को सीधा रखें।
  5. अब अपने दोनों पैरों, गर्दन, और हाथों को धीरे-धीरे करके ऊपर की और उठायें।
  6. फिर अपने शरीर का सारा वजन अपने नितंब के ऊपर कर दें।
  7. अब इस मुद्रा में कुछ सेंकड के लिए रुकें।
  8. अब धीरे-धीरे करके अपनी पूरी अवस्था में आ जाएं और शवासन की अवस्था में लेट जाएं।
  9. इस अभ्यास को चार से पांच बार तक करें ।

नौकासन योग करने के लाभ

नौकासन करने से हमें जो लाभ प्राप्त होते है वो कुछ इस तरह से हैं…

  1. नौकासन करने से हमारा शरीर सुडौल बनता है।
  2. इसको करने से नींद अच्छी आती है, जिन लोगों को नींद नहीं आती उनके लिए यह बहुत ही लाभकारी होता है।
  3. नौकासन करने से हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी और मजबूत होती है।
  4. शरीर के अंगों में संतुलन बनाएं रखने के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है।
  5. नौकासन करने से हमारी छोटी और बड़ी आंत को बहुत ही फायदा मिलता है और यह हर्नियों के रोग के लिए बहुत ही उत्तम होता है।
  6. इसको करने से हमारी पाचन तन्त्र में सुधार आता है।
  7. नौकासन करने से हमारी कमर और कंधों की चर्बी घटती है।
  8. जब हम इस आसन को करते हैं, तब हमारी अंगुलियों से लेकर अंगूठे तक में खिचाव आता है। जिसके कारण शुद्ध रक्त तीव्र गति से प्रवाहित होता है और हमारा शरीर निरोग रहता है।

नौकासन योग में सावधानियां

जब हम इस आसन को करते हैं, तब हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जैसे कि…
जिन लोगों को अनिंद्रा या ह्रदय से संबंधित किसी प्रकार का कोई रोग होता है, उन्हें इससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। साथ ही जिन लोगों के शरीर के पीछे वाले भाग में किसी तरह की कोई परेशानी हो जैसे- पीठ में दर्द, कमर दर्द आदि उन्हें भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।