फ्लू के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

फ्लू को हम इंफ्लुएंजा के नाम से जानते हैं जो कि संक्रामक रोग है। इंफ्लुएंजा वायरस की वजह से फैलता है। इंफ्लुएंजा वायरस तीन तरह के होते हैं- टाइप (ए) टाइप (बी), टाइप (सी) जो अलग-अलग वजहों से फैलते हैं। इसमें कई घातक बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है। अगर उचित समय पर दवा न मिले तो इसमें व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। लेकिन आज हम उन बीमारियों के बारे में बात नहीं करेंगे बल्कि केवल फ्लू के बारे में जानकारी देंगे। 

फ्लू के कारण 

वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की माने तो फ्लू एक बहुत सूक्ष्म कीटाणु के कारण फैलता है, जो रोगी के थूक, कफ, नाक, श्लेष्मा, मल आदि में पनपता है। यह धूल के कण तथा हवा में मिलकर श्वास के द्वारा शरीर के भीतर पहुंच जाता है। अधिक थकावट, अधिक परिश्रम, दूषित भोजन, दूषित वातावरण आदि के कारण भी यह रोग फैल सकता है।

फ्लू के लक्षण 

  1. फ्लू बीमारी में ठंड के साथ बुखार चढ़ता है।
  2. इसमें कफ बनने लगता है और गले में खराश होने लगता है।  
  3. नाक बहने और मांसपेशियों तथा शरीर में दर्द उत्पन होने लगता है। 
  4. फ्लू होने पर सिरदर्द की समस्या की शिकायत सुनने को मिलती है। 
  5. थकावट महसूस होने लगती है। 
  6. इसमें कुछ लोगों को उलटी और दस्त भी होने लगता है। 

फ्लू हटने के बाद 

यह रोग प्राय: एक सप्ताह तक रह सकता है। अगर एक हफ्ते बाद भी बुखार न उतरे तो समझिए मामला गंभीर है। बुखार उतर जाने के बाद कमजोरी बहुत बढ़ जाती है। इसके साथ ही ह्रदय की दुर्बलता, अरूचि, नींद की कमी, मानसिक दुर्बलता आदि भी आठ-दस दिन तक बनी रहती है। 

सामान्य एंव घरेलू उपचार

1. तुलसी के चार-पांच पत्ते, दो लौग, लाल इलायची का एक दना, दो काली मिर्च। इन सबको एक कप पानी में पकायें। काढ़ा जब आधा कप रह जाये तो रोगी को पिलायें। रात के सोते समय भी इस काढ़े का सेवन करायें। 

2. अगर फ्लू हो तो शराब और तंबाकू का सेवन करना बंद कर दें। 

3. सोठ, देवदारू, रास्ना, नागरमोथा, कटेरी तथा चिरायता। सबको बराबर मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बनाकर रोगी को पिलायें। 

4. इसमें आप सूप का भी सेवन कर सकते हैं। 

5. अदरक, तुलसी, काली मिर्च तथा परवल पत्र का काढ़ा बनाकर सेवन करें।

6. इसमें पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन कीजिए।  

ध्यान दें- छोटे बच्चे और जिनकी उम्र 65 साल से उपर हो तथा जिन्हें दमा, मधुमेह या दिल की बीमारी हो उन्हें फ्लू होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए। यही नहीं, इसमें गर्भवती महिला को भी डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।