योग मुद्रा

दण्डासन की विधि और लाभ

अगर हमारा शरीर अधिक मजबूत होता है, तब हम दूसरों के मुकाबले अधिक मजबूत लगते है। योग करने से शरीर मजबूत, ताकत और फुर्तीला बनता हैं। अगर शरीर स्वस्थ होने के साथ मजबूत कद काठी वाला हो तो व्यक्ति और ज्यादा आकर्षित हो जाता है। दण्डासन का नियमित अभ्यास करने से आपके हिप्स, पेल्विस को फ्लेक्सिबल बनते है। दण्डासन शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। यह शब्द दो शब्दों से मिलाकर बना हुआ दण्ड का अर्थ होता है डंडा या छड़ी, जबकि आसन का अर्थ होता है मुद्रा। आइये जानते हैं दण्डासन करने की विधि और लाभ के बारे में।

दण्डासन करने की विधि

1. सबसे पहले किसी साफ़-स्वच्छ, शुद्द वातावरण व हवादार स्थान पर दरी बिछा लें।
2. फिर दरी पर पेट के बल लेट जाएं।
3. अपने दोनों पैरों को मिलाकर व तानकर रखें।
4. इसके बाद अपने दोनों हाथों के बीच थोड़ी दुरी रखते हुए छाती के बिल्कुल सीध में हाथ को कोहनियों से मोड़कर रखें।
5. अब पूरे शरीर को तानते हुए धीरे-धीरे सांस अंदर खींचें और पंजों पर शरीर का भार देते हुए दोनों हाथों के सहारे शरीर को तब तक ऊपर उठाएं जब दोनों हाथ बिल्कुल सीध में न आ जाए।
6. अब अपनी सांस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे शरीर को नीचे फर्श से थोड़ा ऊपर रखें पुनः सांस लेकर शरीर को ऊपर ले जाएं।
7. इस प्रकार से सांस लेकर ऊपर और सांस छोड़ते हुए नीचे आते हुए इस क्रिया को कई बार करें।
इस आसन के अंत में सांस को छोड़कर आराम करें।

दण्डासन के लाभ

दण्डासन के लाभ

1. इस आसन को करने से हाथों, कंधों और छाती का विकास होता है।
2. यह आसन हाथ पैर को शक्तिशाली और छाती को चौड़ा व मजबूत बनाता है।
3. इससे पंजों व हथेलियों को मजबूती प्रदान होती है।
4. इससे सांस लेने की शक्ति बढ़ती है व कंठ फूलता है। इसके साथ ही शरीर के सभी अंग मजबूत बनते हैं।

दण्डासन में सावधानियां

1. इस आसन हाई ब्लड प्रेशर के लोगों को नहीं करना चाहिए।
2. इस आसन को खुली और हवादार जगह पर करना चाहिए।
3. अगर आपकी पीठ, कलाई या किसी जगह पर गंभीर चोट लगी हुई हो तो इस योग को नहीं करना चाहिए।
4. अगर आप इसे पहली बार कर रहे हैं तो किसी की देखरेख में ही करें।

 

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