योग मुद्रा

भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि और लाभ

भ्रामरी करने की विधि और लाभ जानें आपकी सेहत के लिए

इस दौड़ती-भागती दुनिया में खुद को शांत रखना बहुत ही जरूरी है। ऐसे में आप योग का सहारा ले सकते हैं। अगर आप विद्यार्थी हैं या फिर ऑफिस और घर की जिम्मेदारियों को संभालते-संभालते तनाव को महसूस करते हैं और आपका मन शांत नहीं रहता, तो आप भ्रामरी का अभ्यास कर सकते हैं।

भ्रामरी प्रणायाम करने से न केवल मन शांत रहता है बल्कि थकान, और मानसिक तनाव को कम करने में भी मदद करता है। इस आसन के करने से कान, नाक, मुंह, और आंखें सक्रिय हो जाते हैं और उन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह प्राणायाम कष्ट, चिंता या हताशा और क्रोध से छुटकारा पाने के लिए एक बेहतर व्यायाम है।

क्या है भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम में ध्वनि मधुमक्खी की तरह आती है इसलिए भ्रामरी प्राणायाम का नाम दिया गया है।

भ्रामरी करने की विधि

1. सबसे पहले किसी शांत स्थान पर चटाई बिछाकर पद्मसन की मुद्रा में बैंठ जाएं।
2. अपनी आंखों को बंद करें और गहरी सांस लें।
3. दोनों हाथों के अंगूठों से अपने दोनों कान को बंद कर लें।
4. अपनी भौहें के ठीक ऊपर अपनी तर्जनी उंगलियां रखें और बाकी सभी उंगलियां उसके ऊपर रखें।
5. एक लंबी गहरी सांस लें। इसके बाद बिना मुंह खोले भ्रमर की आवाज़ निकालें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें।
6. इसी प्रक्रिया को 6-7 बार दोहराएं। इसके बाद अंगूठे की मदद से कान बंद करें और चारों उंगलियों को चेहरे पर रखें।

भ्रामरी करने के लाभ

भ्रामरी करने की विधि और लाभ

1. जो लोग नियमित रूप से भ्रामरी का अभ्यास करते हैं वह तनाव, क्रोध और चिंता से तत्काल राहत पाते हैं।
2. यह प्राणायाम हृदय की समस्याओं और उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगों के लिए एक बहुत ही प्रभावी माना जाता है।
3. यदि आपका मन विचिलित और उत्तेजित है, तो आप भ्रामरी योग का अभ्यास कीजिए।
4. यह न केवल आपको सिरदर्द से राहत देने का काम करता है बल्कि मन को शांत करने में भी मदद करता है।
5. भ्रामरी एकाग्रता और स्मृति में सुधार करता है और विश्वास पैदा करता है। यह मन की एकाग्रता प्राप्त करने का यह सबसे अच्छा तरीका है।
6. गर्भवती महिलाओं सहित सभी उम्र के लोग इस प्राणायाम का प्रयास कर सकते हैं।
7. अल्जाइमर रोग के लिए यह प्राणायाम बहुत अच्छा है।

भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सावधानियां

1. सुनिश्चित करें कि आप कान के अंदर अपनी उंगुली नहीं डाल रहे हैं। 2. अपने चेहरे पर दबाव मत डालें।
3. आप शंखमुखी मुद्रा में अपनी उंगलियों के साथ भी भ्रामरी प्राणायाम कर सकते हैं।
4. ध्वनि करने के दौरान, अपना मुंह बंद रखें।
5. सुबह पेट साफ करके प्राणायाम करें यदि आप शाम को प्राणायाम कर रहे हैं तो प्राणायाम और आपके भोजन के बीच अंतर रखें।
6. यदि आपको किसी भी समय चक्कर आए, तो इस प्राणायाम को मत कीजिए।
7. भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से पहले भारी भोजन न खाएं और आखिरी भोजन और इस अभ्यास के बीच कम से कम कुछ घंटों का अंतर रखें।

नोट– एक प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक की देखरेख में भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास किया जाना चाहिए।

डिसक्लेमर : Sehatgyan.com में जानकारी देने का हर तरह से वास्तविकता का संभावित प्रयास किया गया है। इसकी नैतिक जिम्मेदारी sehatgyan.com की नहीं है। sehatgyan.com में दी गई जानकारी पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। अतः हम आप से निवेदन करते हैं की किसी भी उपाय का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलह लें। हमारा उद्देश्य आपको जागरूक करना है। आपका डाॅक्टर ही आपकी सेहत बेहतर जानता है इसलिए उसका कोई विकल्प नहीं है।

Leave a Comment