योग मुद्रा

खांसी के लिए योग

खांसी के लिए योग

एक बार जब खांसी हो जाए तो वह जल्दी जाती नहीं है। यदि आप लगातार सर्दी और खांसी से पीड़ित रहते हैं और इसे रोकने के लिए आपको एक प्रभावी तरीका नहीं मिल पा रहा है, तो आज से खांसी के लिए योग अभ्यास शुरू करना देना चाहिए। इन आसनों के जरिए आप सर्दी और खांसी से छुटकारा पा सकते हैं।

खांसी के लिए कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम में आपके दिमाग और शरीर के लिए असंख्य लाभ है। कपालभाति प्राणायाम खांसी को रोकने या इलाज में बहुत प्रभावी है। यह फेफड़ों से विषाक्त पदार्थों को निष्कासित करने में मदद करता है। यह साइनस भी खोलता है और कफ को निकलने की अनुमति देता है।

कपालभाति प्राणायाम करने की विधि

पूरे शरीर खासकर अपने पेट को शिथिल करें तथा आंखें बंद करके ध्यान के किसी आसन में बैठिये। अब नाक से तेजी से श्वास को बाहर निकालने की क्रिया करें। श्वास को बाहर निकालते वक्त पेट को भीतर की ओर खींचे। यह ध्यान दें कि सांस को छोड़ने के बाद, सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किए सामान्य रूप से सांस को अन्दर आने दें। इससे एक सकेंड में एक बार सांस फेंकने की क्रिया कह सकते हैं। – दिल के लिए 5 योग

खांसी के लिए उज्जयी प्राणायाम

खांसी के लिए उज्जयी प्राणायाम

जब आप उज्जयी प्राणायाम का अभ्यास करते हैं, तो आपके शरीर में आने वाली हवा की घर्षण फेफड़ों से बलगम रिलीज करती है, साइनस को गर्म करती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करती है।

उज्जयी प्राणायाम के अन्य लाभों में सिर दर्द से छुटकारा, साइनस से राहत, कफ में कमी, और तंत्रिका और पाचन तंत्र को सुदृढ़ करना शामिल है

उज्जयी प्राणायाम करने की विधि

शरीर को शिथिल करके सुखासन में आराम से बैठें। अपनी आंखें बंद करें और अपने हथेलियों के साथ अपने हाथ को घुटनों पर रखें। कंठ को संकुचित कर नाक से मंद तथा गहरी श्वास ले। सरसराहट की ध्वनी गले से निकालें।

जब आप ऐसा करते हैं, तो आपको एक सीटी आवाज सुनाई देती है। यह ध्वनी छोटे बच्चे की नींद में आनेवाली आवाज समान होंगी। कुछ सेकेंड के लिए अपनी सांस को रोकें और धीरे-धीरे निकालें। शुरुआत में यह 3-4 बार करें और फिर इसे धीरे-धीरे बढ़ाए। – बालों के लिए योगासन – यह आसन देंगे बालों को प्रोटीन

खांसी के लिए सेतुबंधासन

सेतुबंधासन या ब्रिज पोज करने से छाती खुलती है और यह थाइमस ग्रंथियों को उत्तेजित करती है जो आपकी इम्यूनिटी को बढ़ावा देती है और आपको खांसी और कोल्ड को रोकती है।

सेतुबंधासन करने की विधि

सेतुबंधासन करने की विधि

पीठ के बल लेटते हुए अपने दोनों पैरों को कूल्हे की तरफ खींचें। इसके बाद दोनों पैरों में थोड़ा अंतर रखकर हाथों से पैरों के टखनों को पकड़ लें। अब अपनी पीठ, कूल्हे और जांघों के साथ छत की तरफ उठने का प्रयास कीजिए।

यहां कमर को ज्यादा से ज्यादा ऊपर उठा लें और सिर व कंधे जमीन पर ही रहने दें। इस बात का ध्यान दीजिए कि आपकी ठुड्डी आपकी छाती से टच करती हो। अंतिम स्थिति में पहुंचने के बाद सांस की गति सामान्य रखें, कुछ देर के लिए रोकें।

खांसी के लिए शवासन योग

शवासन से आपकी याददाश्त से संतुलन आएगा। इसके नियमित अभ्यास से आपकी मांसपेशियों में तनाव रिलीज होगा। खांसी के लिए यह आसन बहुत ही उपयोगी है। दरअसल शवासन एक गहरी विश्राम मुद्रा है। जब कभी आपको कोल्ड होता है, तो आपको बस अपने शरीर को आराम देने की ज़रूरत होती है। यह खांसी या कोल्ड के कारण वायरस के खिलाफ बेहतर लड़ाई में मदद करता है। – चेहरे पर चमक लाने के लिए उपयोगी योग

शवासन करने की विधि

दोनों भुजाओं को शरीर के बगल में रखते हुए पीठ के बल लेट जाइए। पैरों को एक दूसरे से थोड़ा दूर कर लें और आखों को बंद कर लीजिए। इसके बाद शरीर को ढीला छोड़ दीजिए। इस अवस्था में ये ध्यान रखिए कि आपका शरीर हिले ना। इसके बाद श्वास को सहज होने दीजिए तथा मस्तिष्क को श्वास-प्रश्वास के प्रति जागरुक होने दीजिए।

खांसी के लिए शीर्षासन

शीर्षासन को अक्सर सभी योगों के राजा के रूप में जाना जाता है। शीर्षासन के कई लाभ हैं इसीलिए इसे बहुत ही उपयोगी माना जाता है। यह सबसे जटिल योग आसन में से एक है।

यह आपके शरीर को पुनरुत्थान करता है और आपको डिटॉक्स में भी मदद करता है, क्योंकि यह स्थिर रक्त आपके पैर की उंगलियों से निकलता है और आपके दिल के माध्यम से इसे फ़िल्टर करता है। इसके अलावा शीर्षासन आपकी प्रतिरक्षा या इम्यूनिटी बढ़ाती है और आपको खांसी या सर्दी से लड़ने में मदद करती है।

शीर्षासन करने की विधि

सबसे पहले समतल स्थान पर वज्रासन की अवस्था में चटाई पर बैठ जाएं। आगे झुकते हुए दोनों हाथों की कोहनियों को जमीन पर टिका दें। दोनों हाथों की उंगलियों को फंसाकर आपस में जोड़ लें।

अब सिर को दोनों हथेलियों के मध्य धीरे-धीरे रखें और उसे जमा दें। इसके बाद धीरे-धीरे शरीर का पूरा वजन सिर पर छोड़ते हुए शरीर को ऊपर की उठाना शुरू करें। इसके लिए धीरे-धीरे पैरों को धड़ के समीप लाइये और घुटनों को मोड़िये ताकि पीठ सीधी तनी रहे। इस अवस्था में शरीर हाथों और सिर के सहारे संतुलित रहेगा।

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