कैंसर बीमारी और उपचार

सर्वाइकल कैंसर – बढ़ती आयु में रहें सावधान

cervical cancer in hindi - beware as grow old

सर्वाइकल कैंसर होने का जोखिम आयु के साथ बढ़ता है। सर्वाइकल कैंसर संक्रामक रोग नहीं है। देश के ग्रामीण इलाकों में जानकारी के अभाव अधिकतर महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौत हो जाती है। इसके साथ ही लोकलाजवश भी कई महिलाएं अपनी इस समस्या को दूसरे से कह नहीं पाती है। इसी का नतीजा है कि विश्व के बाकी देशों के मुकाबले भारत में सर्वाइकल कैंसर तेजी से अपने पैर पसार रहा है। देश में हर साल 100 महिलाओं की मौत सर्वाइकल कैंसर की वजह से होती है। भारत में सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित महिलाओं की दर 2.4% बढ़ी है, जबकि विश्व स्तर पर यह आंकड़ा 1.3% है।

क्या है सर्वाइकल कैंसर – गर्भाशय में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होने के कारण सर्वाइकल कैंसर होता है। सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) की वजह से होता है। एचपीवी कई तरह के होते हैं, जिनमें से कुछ ही सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं।

लक्षण- योनि से रक्तस्राव होना इसके साथ ही माहवारी का सही से न होना इसके शुरुआती लक्षण हैं। सेक्स के बाद अधिक मात्र में रक्तस्राव या फिर तेज दर्द होना इसका एक लक्षण हो सकता है। रजोनिवृत्ति के बाद भी शारीरिक संबंध बनाने पर खून का रिसाव होना भी इसमें शामिल है। अक्सर योनि से सफेद बदबूदार पानी का रिसाव होना भी सर्वाइकल कैंसर का लक्षण है। हालांकि कई बार माहवारी के दौरान पेट के निचले हिस्से के दौरान दर्द होता है। लेकिन यही दर्द अगर माहवारी के अलावा हो, तेज या हल्का दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से बात करें।

उपचार – शुरुआती अवस्था में अगर सर्वाइकल कैंसर का पता चल जाए, तो इलाज से खत्म किया जा सकता है, लेकिन अगर देर हो चुकी है तो इससे बचना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। एचपीवी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इसे 11 से 15 साल की लड़कियों में भी एचपीवी वैक्सीन जरूरी बताई गई है। पैप स्मीयर जांच से पहले वीएसआई स्क्रीनिंग भी जरूरी है। एचपीवी तीन चरणों में होने वाला वैक्सीनेशन है, जिसे पहली एक महीने, फिर दूसरी और तीसरी डोज छठे महीने में दी जाती है।

 

गर्भाशय हटाना- कैंसर की दूसरी स्टेज में उन अंगों को निकाल दिया जाता है जो अंग कैंसर से प्रभावित होते है। इसमें गर्भाशय और उसके आसपास के टिशू को निकल दिया जाता है। इसमें अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, और लिम्फ नोड्स भी हटाये जा सकते हैं।

 

कीमोथेरपी– कीमोथेरेपी से भी सरवाइकल कैंसर का इलाज होता है। कीमोथैरेपी में विषाक्त दवाओं का इस्तेमाल होता जिससे कैंसर की कोशिकाओं को मारा जाता हैं। कीमोथैरेपी के दौरान मरीज़ को थकान, बालों का झाड़ना , भूख न लगना, मतली, और उल्टी जैसे साइड इफेक्ट होते हैं।

 

सर्वाइकल कैंसर के इलाज के दौरान कई बार गर्भाशय को निकालना पड़ जाता है। जिसकी वजह से महिला को मां बनने से महरुम होन पड़ सकता है। हालांकि ज्यादातर मौकों पर सर्वाइकल कैंसर की शिकायत 40 उम्र के पार ही देखने को मिलती है। लेकिन सर्वाइकल कैंसर कम उम्र में होने की वजह से मातृत्व सुख से शायद न मिल सके। इसीलिए कैंसर का जितना जल्दी पता चल जाए, उतनी ही अच्छा होता है।

 

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