डायबिटीज

हाइपोग्लाइसेमिक और डायबिटीज में क्या है संबंध

जाने हाइपोग्लाइसेमिक और डायबिटीज में क्या है संबंध और कैसे रखें अपनी सेहत का ख़याल, diabetes care in hindi

मधुमेह अक्सर मेटाबॉलिज्म संबंधी बीमारियों की वजह से होता है जिसमें व्यक्ति के खून में ज्यादा शुगर या तो कम मात्रा में इंसुलिन बनने के कारण या शरीर की कोशिकाओं के कारण इंसुलिन का ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करने या फिर दोनों कारणों से हो सकती हैं। मधुमेह में हृदय रोग, स्ट्रोक और यहां तक कि एक अंग को काटने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। गर्भवती महिलाओं को भी मधुमेह हो सकती है, जिसे गर्भावधि मधुमेह कहा जाता है।

बढ़ती मधुमेह की बीमारियों और लक्षणों को क्यों अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए:-

बढ़ती मधुमेह की बीमारियों और लक्षणों को

हाइपोग्लाइसेमिक स्ट्रोक मधुमेह की सबसे आम कठिनाइयों में से एक है और यह तब हो सकती है जब खून में ग्लूकोज का स्तर बहुत कम हो जाता हैं। इससे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती है। इसके लक्षणों में दिल की तेज़ धड़कन, भूख, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और धुंधला दिखाई देना शामिल हैं। अगर इलाज न किया जाए तो, हाइपोग्लाइसेमिक बेहोशी कर सकती हैं, लेकिन इसके बावजूद भी मरीज इस बीमारी पर बहुत कम ध्यान देते हैं। मधुमेह सामान्य रूप से शरीर में इंसुलिन हार्मोन के न बनने या इंसुलिन के कार्य ना कर पाने के कारण खून में बहुत ज्यादा शुगर होने पर होती है। इसके दो मुख्य प्रकार हैं-

टाइप-1 डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उन कोशिकाओं को नष्ट कर देती है जो इंसुलिन का उत्पादन करती हैं। इसे ग्लूकोज को शरीर में ऊर्जा पैदा करने के लिए कोशिकाओं में पहुंचने की जरुरत होती है । टाइप-1 मधुमेह के साथ रोगी अपने बाकी जीवन के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन पर निर्भर करते हैं।

गर्भावधि मधुमेह कुछ महिलाओं में तब होती है जब वे गर्भवती होती हैं। इस प्रकार की मधुमेह ज्यादातर बच्चे के पैदा होने के बाद ठीक हो जाती है। हालांकि, अगर आपको गर्भावधि मधुमेह है, तो आपको गर्भावस्था के बाद के जीवन में टाइप-2 डायबिटीज होने का अधिक संभावनाएं हो सकती है। कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान पहचानी गई डायबिटीज वास्तव में टाइप-2 डायबिटीज भी हो सकती है।

हालांकि, हाइपोग्लाइसेमिक होने का कोई भी कारण अभी तक पता नहीं है परन्तु कुछ चीजें जैसे ख़राब भोजन या नाश्ता, कम कार्बोहाइड्रेट और बड़ी मात्रा में शराब पीने के परिणाम स्वरूप यह हो सकती है। लम्बे समय से हाइपोग्लाइसेमिक को गंभीर स्वास्थ्य बीमारियों से जोड़ा गया है। जिनमें हृदय रोग भी शामिल है। कुछ समय के बाद हाइपोग्लाइसेमिक के लक्षणों को महसूस नहीं किया जा सकता। ऐसे में उन्हें पहचानना और उनका इलाज करना और अधिकमुश्किल हो जाता है।

कई अध्ययनों से पता चला है कि नियमित शारीरिक कसरतें वास्तव में रक्त ग्लूकोज के स्तर में कमी करती है और मधुमेह में सुधार सकती है। अधिक रक्त ग्लूकोज के शुरुआती लक्षण अक्सर बहुत कम होते हैं जिन्हे आसानी से अनदेखा किया जा सकता हैं। यही कारण है कि नियमित रूप से ब्लड शुगर के स्तर का परीक्षण करना महत्वपूर्ण है। जब कोई हाइपोग्लाइसेमिक होता हैं, तो उनको अधिक पसीना आता है, परन्तु पुराने मधुमेह रोगियों में अक्सर इन लक्षणों को महसूस करने की क्षमता खत्म हो जाती है।

टाइप-2 मधुमेह एक ऐसा रोग है जिसमें शरीर इंसुलिन प्रतिरोध करता है और यह इंसुलिन प्रतिरोध, लेप्टिन सिग्नलिंग की खराबी, लंबे समय तक ज्यादा इंसुलिन और लेप्टिन के स्तर के कारण होती है। टाइप-2 मधुमेह के कारक में से एक कारण अत्यधिक खाना है, जो इंसुलिन और लेप्टिन पर गलत असर डालता है। इसलिए आपके आहार में फल और अन्य कम शुगर के आहार महत्वपूर्ण है। जो कई रूपों में आते हैं। अनुसंधान से यह भी पता चलता है कि आपके आहार और अल्जाइमर रोग और ग्लूकोमा टाइप-2 मधुमेह रोग आपस में जुड़े हुए होते है। इसलिये अपना ध्यान रखें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

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