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सांस लेने में तकलीफ की चिंता, किस ओर देता है इशारा 

सांस लेने में तकलीफ की चिंता

सीढियां चढ़ते समय कई बार सांस लेने में तकलीफ होती है। इसे हम मामूली रोग समझकर नजरअंदाज कर देते हैं और डॉक्टर के पास जाने की जहमत नहीं करते। लेकिन ज्यादा लंबे समय तक यह स्थिति बनी रही तो आपको बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। आइए जानते हैं सांस लेने में तकलीफ की चिंता किस बीमारी की ओर इशारा करती है।

हृदय रोगों से जुड़े हो सकते हैं तार

सांस लेने में तकलीफ में अक्सर लोग दिल की बीमारियों से जोड़कर देखते है। दिल के रोग मसलन, एन्जाइना, हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, जन्मजात दिल में परेशानी या एरीथमिया आदि में ब्रेथलेसनेस होती है।

ऐसा तब होता है जब दिल की मांसपेशियां कमजोर होने पर वे सामान्य गति से पंप नहीं कर पातीं और फेफड़ों पर दबाव बढ़ जाता है। ऐसे लोग रात में जैसे ही सोने के लिए लेटते हैं, उन्हें खांसी आने लगती है और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।

हार्ट फेलियर

हार्ट फेलियर

हार्ट फेलियर तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों कमजोर हो जाती है और रक्त तथा ऑक्सीजन के लिए शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर सकता। हार्ट फेलियर में अक्सर सांस की तकलीफ जैसी समस्या होती है। – ह्रदय रोग में परहेज

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (सीओपीडी)

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (सीओपीडी) बीमारियों के एक समूह को संदर्भित करती है और जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ, खांसी, सांस नली बलगम और घरघराहट पैदा हो जाती है। इसमें एम्फेसेमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, और कुछ मामलों में अस्थमा शामिल है। सीओपीडी के विकास और प्रगति का प्रमुख कारण तंबाकू धुआं है।

इसके अलावा वायु प्रदूषण और श्वसन संक्रमण भी एक भूमिका निभाते हैं। सिगरेट पीने वालों, फैक्टरी में रसायनों के बीच काम करने वालों और प्रदूषण में रहने वाले लोगों को यह खासतौर पर होती है।

अस्थमा

सांस लेने में तकलीफ अस्थमा की ओर भी इशारा करती है। आज अस्थमा लोगों में सबसे आम बीमारी बन चुकी है। यह एक ऐसी बीमारी है जो आबादी का बहुत ही बड़ा हिस्सा इससे प्रभावित है।अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का वायुमार्ग संकीर्ण और सूजन और अतिरिक्त कफ उत्पन्न करता हैं। इसमें मरीज को सांस की कमी, घरघराहट और छाती में जकड़न जैसी समस्या होती है।

फेफड़ों की समस्या

फेफड़ों की समस्या

सांस नली के जाम होने पर या फेफड़ों में छोटी-मोटी परेशानी होने पर सांसें छोटी आने लगती हैं या फिर सांसों में तकलीफ होने लगती है। ऐसी स्थिति में डॉक़्टर की मदद से इस स्थिति से जल्दी ही राहत पाई जा सकती है। वैसे फेफड़ों के कैंसर वाले कई रोगियों में सांस की तकलीफ का अनुभव होता है। यह ट्यूमर के कारण या किसी अन्य अंतर्निहित फेफड़े या दिल की बीमारी के कारण हो सकता है। – फेफड़ों को मजबूत कैसे करे

पलमोनरी हाइपरटेंशन

पलमोनरी हाइपरटेंशन पलमोनरी धमनियों में उच्च दबाव (उच्च रक्तचाप) के कारण उत्पन होने वाली एक बीमारी है। पलमोनरी हाइपरटेंशन एक दुर्लभ स्थिति है जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, यह उन लोगों में आम है जिनकी अंतर्निहित दिल या फेफड़ों की स्थिति है।पलमोनरी धमनियों के मुख्य लक्षण सांस लेने में तकलीफ, थकान, चक्कर आना, और लेग एडेमा है।

पलमोनरी एम्बोलिज्म

पलमोनरी एम्बोलिज्म में फेफड़ों तक जाने वाली धमनियां वसा कोशिकाओं, खून के थक्कों, ट्यूमर सेल या तापमान में बदलाव के कारण जाम हो जाती हैं। रक्त संचार में आए इस अवरोध के कारण सांस लेने और छोड़ने में परेशानी होती है। छाती में दर्द भी होता है।

 निमोनिया

 निमोनिया

निमोनिया वाले मरीजों को अक्सर सांस की तकलीफ का अनुभव होता है। यह बीमारी स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया नाम के एक कीटाणु की वजह से होती है। दरअसल यह बैक्टीरिया श्वास नली में एक खास तरह का तरल पदार्थ उत्पन्न करता है, जिससे फेफड़ों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता और ब्लड में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

खून में ऑक्सीजन की कमी के चलते होठ नीले पड़ जाते हैं, पैरों में सूजन आ जाती है और छाती अकड़ी हुई सी लगती है।65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में, यह ज्यादातर मामलों में प्राथमिक लक्षण है। निमोनिया वाले मरीजों में आमतौर पर बुखार और खांसी होता है। कुछ में छाती के दर्द का अनुभव हो सकता है। – निमोनिया क्या है और इसके लक्षण

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