बच्चों के सेहत की बेहतरीन नींव के लिये जितनी उपयोगी पर्याप्त नींद, भोजन और हवा जरूरी हैं उससे कम खेलकूद नहीं है। खेलकूद के बिना बच्चों की दिनचर्या अधूरी है। आम तौर पर भारत में बच्चों के खेलकूद के प्रति अभिभावकों की धारणा इन पंक्तियों से पता चलती है-
पढ़ोगे, लिखोगे, बनोगे नवाब
खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब
कई अभिभावकों का मानना है कि खेलकूद मात्र बच्चों के मनोरंजन का साधन है। यह धारणा रखने वाले अभिभावक अक्सर खेलकूद को बच्चों के सेहत से जोड़ कर न देखने की भूल करते हैं जिसके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं।
क्यों है बच्चों के लिये खेलकूद जरूरी
बच्चों के लिये खेलकूद जरूरी है क्योंकि इसके जरिये बच्चे बाहरी संसार के विषय में व्यावहारिक ज्ञान हासिल करते हैं। यह इसलिये भी जरूरी है क्योंकि बच्चों में जूझने का जज्बा पैदा करता है। यह बच्चों को जूझना सिखाता है। यह खेल ही है जो कठिन घड़ियों में भी मुस्कुराना सिखाता है।
एक से छह माह के बच्चे रंगीन खिलौनों अथवा रंगीन वस्तुओं से खलना पसंद करते हैं। इसका एक कारण रंगों की तरफ उनका आकर्षण हो सकता है। छह महीने से लेकर बारह महीने तक के बच्चे खिलौनों को छूने या उन्हें चबाने का आनन्द लेते हैं। उन्हें घुनघुना, रबड़ अथवा प्लास्टिक के खिलौने से खेलने में मजा आता है। एक वर्ष से डेढ़ वर्ष तक की आयु के बच्चे वस्तुओं को धागे से खींचने अथवा ढ़केलने का मजा लेते हैं।
किशोरावस्था में भी जरूरी है खेलकूद
खेलकूद से किशोरों में स्फूर्ति आती है। यही नहीं, खेलकूद उनमें रक्त का प्रवाह सुचारू करता है। खेलकूद किशोरों में उमंग पैदा करने का एक जरिया है। खेलकूद से इन सब के अलावा किशोरों का शारीरिक विकास भी होता है। इन सबसे महत्तवपूर्ण खेलकूद के जरिये किशोरों का सामाजिक विकास होता है।
इसके पीछे का कारण यह है कि खेलने के दौरान वह अपने से छोटे, हमउम्र और बड़ों के साथ जीने की कला का विकास करता है। इससे उसके मन में सह-अस्तित्व की भावना का समावेश होता है। इसके अलावा खेलकूद बच्चों में अनुशासन, क्रोध पर नियंत्रण और परस्पर प्रेम के भावों को भी सींचता है। यही भावनायें आगे चलकर एक बेहतर समाज का निर्माण और अंतत: देश को सश्क्त करती है।
जिन घरों में पालतू पशु होते हैं वहाँ थोड़े परहेज की जरूरत होती है। ये पशु अपनी भावनायें मानव आवाज़ में बोलकर व्यक्त नहीं कर सकते। अक्सर बच्चे अनजाने में इन्हें छेड़ते हैं जिससे वो चिढ़ जाते हैं। कई बार चिढ़ने के कारण वो बच्चों को काट अथवा किसी प्रकार की हानि पहुँचा सकते हैं। इसलिये बच्चों के सर्वांगीण विकास और अंतत: उन्हें सेहतमंद बनाने के लिये खेलकूद को बच्चों, किशोरों के जीवन की दिनचर्या में अनिवार्य रूप से शामिल कर देना चाहिये।